शरीर की स्थिरता बनाए रखने और सिर का वजन उठाने के लिए हमारी पीठ व कमर में नैचुरल कर्व (झुकाव व उभार) होता है. लेकिन जब यह कर्व असामान्य हो जाता है और अत्यधिक दिखने लगता है, तो इसे कूबड़ कहा जाता है. कूबड़ को अंग्रेजी में हंचबैक (Hunchback), राउंड बैक (Roundback) और काइफोसिस (Kyphosis) कहा जाता है. कूबड़ को कुछ आसान एक्सरसाइज की मदद से कंट्रोल किया जा सकता है और कुछ मामलों में खत्म भी किया जा सकता है.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

कूबड़ को खत्म करने वाली 3 बेस्ट एक्सरसाइज (Hunchback Exercise)
खराब पोस्चर, बढ़ती उम्र, स्लिप डिस्क या कमजोर हड्डियों आदि कारणों से कूबड़ की समस्या हो सकती है. जिसके कारण चलने, फिरने, काम करने में दर्द व असहजता हो सकती है. मगर निम्नलिखित एक्सरसाइज की मदद से इसे कंट्रोल किया जा सकता है.


ये भी पढ़ें: Exercise for Strong Knee: कमजोर घुटनों को मजबूत बनाएगी सिर्फ 1 एक्सरसाइज, बुजुर्गों को मिलेगा बहुत फायदा


1. Hunchback Exercise: क्रूसीफिक्स स्ट्रेच (Crucifix Stretch)
कूबड़ की समस्या को मैनेज करने के लिए आप क्रूसीफिक्स स्ट्रेच कर सकते हैं. इसे करने के लिए आप पैरों को कमर जितना खोलकर खड़े हो जाएं और हाथों को कंधों के बराबर दोनों तरफ उठा लीजिए और अंगूठे आसमान की तरफ करके मुट्ठी बंद कर लीजिए. अब कलाई घुमाते हुए अंगूठों को पीछे की तरफ जितना हो सके, घुमाएं. जब खिंचाव ज्यादा हो, तो वापस सामान्य स्थिति में आ जाएं और फिर यही प्रक्रिया दोहराएं.


2. Rounded back Exercise: भुजंगासन
कूबड़ की समस्या के लिए भुजंगासन काफी फायदेमंद है. इससे रीढ़ की हड्डी लचीली बनती है और खराब पोस्चर के कारण हुआ कूबड़ ठीक होता है. इसे करने के लिए जमीन पर पेट के बल लेट जाएं और पैरों को बिल्कुल पीछे की तरफ फैला लें. अब हथेलियों को कंधों के नीचे रखें. इसके बाद सांस भरते हुए पेट से शरीर को उठाते हुए सिर को जितना हो सके, पीछे ले जाएं. थोड़ी देर इसी अवस्था में रहें और फिर सामान्य हो जाएं.


ये भी पढ़ें: Foods for Energy: वर्कआउट से पहले खाएं ये 5 फूड्स, फुर्ती से एक्सरसाइज करेंगे आप


3. Kyphosis Exercise: चेस्ट स्ट्रेच
इन दोनों एक्सरसाइज के अलावा चेस्ट स्ट्रेच भी कूबड़ की समस्या में फायदेमंद है. आप किसी दीवार के कोने पर दायीं हथेली टिका लीजिए और दीवार पर ही हथेली के नीचे कोहनी टिका लीजिए, जिससे आपके हाथ में 90 डिग्री का कोण बन जाएगा. अब हाथ को वहीं रखते हुए छाती को बायीं तरफ मोड़ें. जब खिंचाव महसूस हो, तो उसी स्थिति में रुकें और फिर दूसरे हाथ से भी यही प्रक्रिया दोहराएं.


यहां दी गई जानकारी किसी भी चिकित्सीय सलाह का विकल्प नहीं है. यह सिर्फ शिक्षित करने के उद्देश्य से दी जा रही है.