इन सभी समस्याओं से राहत दिलाता है उत्कट कोणासन, जानें करने की आसान विधि और जबरदस्त फायदे
Benefits of Utkata Konasana: उत्कट कोणासन (Utkata Konasana) का अभ्यास शरीर के लिए बहुत उपयोगी माना जाता है। इस आसन का अभ्यास महिलाओं के लिए बहुत लाभदायक होता है.
Benefits of Utkata Konasana: आज हम आपके लिए उत्कट कोणासन के फायदे लेकर आए हैं. महिलाओं को नियमित रूप से इस योगासन का अभ्यास करना चाहिए. इसके नियमित अभ्यास से आपके हैमस्ट्रिंग, घुटने और शरीर के निचले हिस्से को फायदा मिलता है. उत्कट कोणासन का अभ्यास महिलाओं के लिए प्रेगनेंसी में और उससे पहले बहुत फायदेमंद होता है. आइये जानते हैं उत्कट कोणासन का अभ्यास करने से मिलने वाले फायदे के बारे में.
क्या है उत्कट कोणासन (Benefits of Utkata Konasana)
उत्कट कोणासन को देवी मुद्रा (Goddess Pose) के नाम से भी जाना जाता है. इस आसन का नाम संस्कृत भाषा से लिया गया है, जिसमें उत्कट का अर्थ है उग्र और कोणासन का मतलब मुद्रा या आसन है. यह योगासन कूल्हों, पेट, छाती और कमर व पैर की मांसपेशियों के लिए बहुत उपयोगी माना जाता है.
उत्कट कोणासन का अभ्यास करने का सरल तरीका (Simple way to practice Utkata Konasana)
सबसे पहले पैरों के बीच समान दूरी बनाएं और खड़े हो जाएं.
पैरों को बराबर रखते हुए उंगलियों को बाहर की तरफ मोड़ें.
इस दौरान आप अपने पैरों की एडियों को शरीर के पास रखें.
इसके बाद आप घुटनों को मोड़ते हुए हिप्स को नीचे ले जाएं.
नमस्कार की मुद्रा में अपनी दोनों हथेलियों को एक साथ लाएं.
छाती को आगे की तरफ करते हुए कंधे को थोड़ा पीछे रखें.
आप इस इसी स्थिति में रहें और सामान्य व गहरी सांस लें.
सांस छोड़ने के बाद पेट को सिकोड़ें और पीठ के हिस्से को नीचे की तरफ दबाएं.
अब आराम से पोज को रिलीज करते हुए सामान्य मुद्रा में आयें.
उत्कट कोणासन के अभ्यास से मिलने वाले फायदे (Benefits of practicing Utkata Konasana)
गर्भावस्था से पहले और गर्भावस्था के दौरान इस योगासन का अभ्यास बहुत ही फायदेमंद होता है.
उत्कट कोणासन का अभ्यास शरीर की मांसपेशियों को स्ट्रेच करने और उन्हें खोलने का काम करता है.
इस आसन का अभ्यास करने से कूल्हों, घुटने और टखनों को भी फायदा मिलता है.
महिलाओं में प्रजनन अंगों से जुड़ी समस्याओं में ये आसन बहुत फायदेमंद माना जाता है.
इसका नियमित अभ्यास करने से तनाव और डिप्रेशन जैसी मानसिक समस्याओं में फायदा मिलता है.
इस आसन का नियमित अभ्यास करने से गठिया की समस्या को नियंत्रित करने में फायदा मिलता है.
इसका नियमित अभ्यास किडनी, अंडाशय और मूत्राशय के लिए बहुत फायदेमंद माना जाता है.
इसके अभ्यास से सांस लेने की प्रक्रिया में सुधार होता है और फेफड़ों को फायदा मिलता है.
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यहां दी गई जानकारी किसी भी चिकित्सीय सलाह का विकल्प नहीं है. यह सिर्फ शिक्षित करने के उद्देश्य से दी जा रही है.
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