ब्रेस्ट कैंसर के इलाज में इस्तेमाल होने वाली हार्मोन मॉड्युलेटिंग थेरेपी (एचएमटी) से अल्जाइमर और डिमेंशिया का खतरा कम हो सकता है. एक नए अध्ययन के मुताबिक, एचएमटी लेने वाली महिलाओं में अल्जाइमर का खतरा 7 फीसदी कम पाया गया है. हालांकि, अध्ययन में यह भी पाया गया कि उम्र बढ़ने के साथ एचएमटी के फायदे कम होते जाते हैं.


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अध्ययन के अनुसार, एचएमटी का इस्तेमाल करने वाली महिलाओं में अल्जाइमर और संबंधित डिमेंशिया का खतरा कम होता है, लेकिन यह प्रभाव उम्र के साथ कम होता जाता है. इसके अलावा, ब्लैक महिलाओं को इस थेरेपी से ज्यादा फायदा हुआ है, जबकि व्हाइट महिलाओं में यह प्रभाव कम देखा गया है. एचएमटी का इस्तेमाल उन ब्रेस्ट कैंसर मरीजों में किया जाता है जिनके ट्यूमर हार्मोन के प्रति सेंसिटिव होते हैं. यह थेरेपी हार्मोन के प्रभाव को कम करके ट्यूमर के विकास को रोकती है.


कैसे हुआ अध्ययन
अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने 65 साल से अधिक उम्र की महिलाओं के डेटा का विश्लेषण किया. जिन महिलाओं ने HMT का इस्तेमाल किया था, उनमें से 24 प्रतिशत को अल्जाइमर हुआ, जबकि जिन महिलाओं ने इसका इस्तेमाल नहीं किया था, उनमें 28 प्रतिशत को अल्जाइमर हुआ. हालांकि, अध्ययन में पाया गया कि एचएमटी का अल्जाइमर के खतरे को कम करने का प्रभाव उम्र के साथ कम होता जाता है. 65 से 69 साल की उम्र के बीच एचएमटी का इस्तेमाल करने वाली महिलाओं को ज्यादा फायदा हुआ, जबकि 80 साल से अधिक उम्र की महिलाओं में इसका प्रभाव कम देखा गया.


अध्ययन के अनुसार, ब्लैक महिलाओं को एचएमटी से ज्यादा फायदा हुआ है. 65 से 74 साल की उम्र के बीच व्हाइट महिलाओं में अल्जाइमर का खतरा 24 प्रतिशत कम हुआ, जबकि व्हाइट महिलाओं में यह प्रभाव 11 प्रतिशत था. शोधकर्ताओं का कहना है कि एचएमटी के इस्तेमाल से दिमाग को सुरक्षा मिलती है, लेकिन इसका प्रभाव उम्र, नस्ल और अन्य फैक्टर पर निर्भर करता है. इसलिए, ब्रेस्ट कैंसर के इलाज के लिए एचएमटी का इस्तेमाल करते समय मरीज की उम्र और अन्य स्थितियों को ध्यान में रखना जरूरी है.


एचएमटी के तीन मुख्य प्रकार
अध्ययन के अनुसार, एचएमटी के तीन मुख्य प्रकार हैं: सेलेक्टिव एस्ट्रोजन रिसेप्टर मॉड्युलेटर्स, एरोमाटेज इनहिबिटर्स और सेलेक्टिव एस्ट्रोजन रिसेप्टर डिग्रेडर्स. इनमें से प्रत्येक प्रकार का अल्जाइमर के खतरे पर अलग-अलग प्रभाव पड़ सकता है. शोधकर्ताओं का कहना है कि अभी भी एचएमटी और अल्जाइमर के बीच संबंधों के बारे में और अधिक अध्ययन करने की जरूरत है.