अल्जाइमर रोग के इलाज में नई दवाओं की चर्चा के साथ-साथ हाल ही में एक अध्ययन ने धूम मचा दी है. यह अध्ययन बताता है कि लाइफस्टाइल में बदलाव कर के भी इस बीमारी को धीमा किया जा सकता है और सम्भवतः रोका भी जा सकता है. इसकी कुछ दवाएं महंगी होती हैं और बार-बार लेने की जरूरत पड़ती है, वहीं लाइफस्टाइल में बदलाव टिकाऊ फायदे देते हैं.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

डॉ. डीन ऑर्निश ने अपने शोध में पाया कि डाइट, व्यायाम, तनाव कम करने और सोशल मेलजोल पर आधारित गहन कार्यक्रम ने मनोभ्रंश के ह्युमन टेस्ट में पाए जाने वाले मस्तिष्क क्षय (brain decay) को धीमा कर दिया और कुछ लोगों के लक्षणों में भी सुधार किया.


49 लोगों पर हुई स्टडी
अध्ययन में 49 लोगों को शामिल किया गया जिनमें हल्की मानसिक दुर्बलता या शुरुआती अल्जाइमर था. आधे लोगों ने 20 हफ्तों तक डॉ. ऑर्निश के कार्यक्रम में बताए गए बदलाव अपनाए, जबकि बाकी आधे अपने सामान्य लाइफस्टाइल में रहे. शोधकर्ताओं ने इन लोगों के खून और मल के नमूनों का अध्ययन किया.


कैसे हुए टेस्ट?
कार्यक्रम में भाग लेने वालों को रोजाना तीन शाकाहारी भोजन और दो नाश्ते दिए गए. साथ ही, रोजाना 30 मिनट एरोबिक व्यायाम (ज्यादातर पैदल चलना) और हफ्ते में कम से कम तीन बार शक्ति वर्धन व्यायाम करना था. तनाव कम करने के लिए रोजाना एक घंटा ध्यान, योग और विश्राम के अभ्यास करवाए गए. साथ ही, सप्ताह में तीन बार सपोर्ट ग्रुप में शामिल होना जरूरी था. इन प्रतिभागियों को कई विटामिन और डायटरी सप्लीमेंट भी दिए गए.


अध्ययन के अंत तक, लाइफस्टाइल में बदलाव करने वालों में चार स्टैंडर्ड मेंटल टेस्ट में से तीन में काफी सुधार देखा गया. कंट्रोल ग्रुप के लोगों की तुलना में, जिनके सभी टेस्ट में स्कोर खराब होते गए. हालांकि सुधार छोटे थे, डॉ. ऑर्निश का कहना है कि 20 हफ्तों का समय कम है और ये परिणाम अच्छे हैं. उनका मानना है कि बीमा कंपनियां इस कार्यक्रम को कवर करेंगी और इससे ज्यादा लोगों को इस बीमारी को धीमा करने या रोकने में मदद मिलेगी.