Common Cancer Myths And Misconceptions: इस बात से हम सभी वाकिफ हैं कि कैंसर एक बेहद खतरनाक बीमारी है, जिससे इंसान की जान भी जा सकती है. नेशनल कैंसर रजिस्ट्री प्रोग्राम की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2022 में भारत में कैंसर के तकरीबन 14,61,427 मामले थे. हमारे देश में हर 9 लोगों में से एक को कैंसर होने का खतरा रहता है. इस बीमारी के इलाज को लेकर कई तरह की तकनीक डेवलप की जा रही है, लेकिन कैंसर के बारे में मिथ भी कम नहीं हैं. फोर्टिस हॉस्पिटल वसंत कुंज दिल्ली में मेडिकल ऑनकोलॉजी के डायरेक्टर, डॉ. अमित भार्गव (Dr. Amit Bhargava) ने इसको लेकर जानकारी साझा की है.


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इन मिथ्स पर न करें यकीन


मिथ नंबर-1: बयोपसी से कैंसर फैलता है
फैक्ट: बायोपसी से कैंसर के असल नेचर का पता चलता है, मसलन- इसका ऑरिजिन, बेहिवेयर, कौन सी दवाइयों का इस्तेमाल करना असरदार साबित होगा वगैरह.



मिथ नंबर-2: कैंसर फैलने वाली बीमारी है
फैक्ट:
कैंसर संक्रामक रोग नहीं है, यानी ये एक इंसान से दूसरे इंसान में नहीं फैलता, ये बीमारी हमारी अपनी कोशिकाओं के डीएनए में परिवर्तन के कारण होता है.


मिथ नंबर-3: कैंसर होने पर मौत तय है
फैक्ट:
ये जरूरी नहीं है कि कैंसर की वजह से मौत हो ही जाए. कई प्रकार के कैंसर का इलाज मुमकिन है. अगर अर्ली स्टेज में पता चल जाए और वक्त पर सही इलाज मिल जाए तो आप कैंसर से जिंदगी की जंग जीत सकते हैं.


मिथ नंबर-4: कैंसर को रोका नहीं जा सकता
फैक्ट:
हालांकि हर तरह के कैंसर को रोकना मुमकिन नहीं है, लेकिन कुछ की रोकथाम की जा सकती है. इसके लिए आपको हेल्दी लाइफस्टाइल, बैलेंस्ड डाइट, रेग्युलर एक्सरसाइज, शराब छोड़ना, तंबाकू छोड़ना जैसे स्वस्थ आदतों को अपनाना होगा.


मिथ नंबर-5: सिर्फ स्मोकिंग करने वालों को होता है कैंसर
फैक्ट:
हालांकि धूम्रपान फेफड़ों के कैंसर का सबसे आम कारण है, लेकिन स्मोकिंग न करने वालों में भी बीमारी विकसित हो सकती है. पैसिव स्मोकिंग, पॉल्यूशन, और जेनेटिक फैक्टर्स की वजह से भी लंग कैंसर का खतरा पैदा हो जाता है.


मिथ नंबर-6: कैंसर का इलाज बीमारी से भी ज्यादा बुरा है
फैक्ट:
कैंसर के इलाज में काफी प्रगति आई है, लेकिन ये चुनौतीपूर्ण हो सकता है. मेडेकल साइंस के विकास में थेरेपीज पर ज्यादा जोर दिया जाता है जिसमें साइड इफेक्ट्स काफी कम हो गया है. इसके जरिए कैंसर पेशेंट की जिंदगी बेहतर बनाई जा सकती है


मिथ नंबर-7: कैंसर हमेशा पेनफुल होता है
फैक्ट:
हर तरह का कैंसर पेनफुल नहीं होता है, कुछ का पता इसलिए नहीं चल पाता, क्योंकि अर्ली स्टेज में दर्द का अहसास या डिस्कम्फर्ट फील नहीं होता. ऐसे समय में अर्ली डिटेक्शन और रेग्युलर स्क्रीनिंग जरूरी है.


मिथ नंबर-8: अल्टरनेटिव थेरेपी से दूर हो सकता है कैंसर
फैक्ट:
अल्टरनेटिव थेरेपी, जैसे हर्बल ट्रीटमेंट और अनकंवेंशनल डाइट को लेकर अब तक ऐसा कुछ भी प्रूव नहीं हुआ है. इसके लिए डॉक्टर से संपर्क करना जरूरी है और रिकवरी के लिए मेडिकल ट्रीटमेंट का सहारा लें.


मिथ नंबर-9: ब्रेस्ट कैंसर सिर्फ महिलाओं को हो सकता है
फैक्ट:
हालांकि ब्रेस्ट कैंसर महिलाओं में ज्यादा कॉमन है, लेकिन पुरुष को भी ये बीमारी हो सकती है. स्तन कैंसर का जल्दी पता लगाने के लिए पुरुषों और महिलाओं दोनों को सेल्फ एग्जामिनेशन करना चाहिए.


मिथ नंबर-10: मोबाइल फोन और माइक्रोवेव से कैंसर होता है
फैक्ट: इस विचार का समर्थन करने के लिए कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है कि सेल फोन, माइक्रोवेव, या अन्य सामान्य घरेलू उपकरण कैंसर का कारण बनते हैं.जो चीजे इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन उत्सर्जित करती हैं वो डीएनए को नुकसान पहुंचाने और कैंसर का कारण बनने के लिए काफी नहीं है.


मिथ नंबर-11: फैमिली हिट्री है तो कैंसर जरूर होगा
फैक्ट:
हालांकि फैमिली हिट्री के कारण कैंसर का खतरा जरूर होता है, लेकिन इसकी गारंटी नहीं है कि आपको भी ये बीमारी होगी. लाइफस्टाइल, फूड हैबिट्स जैसी कई चीजें हैं जो कैंसर के रिस्क को बढ़ा देती हैं.
 


सही जानकारी है जरूरी
जब कैंसर की बात आती है तो तथ्य को कल्पना से अलग करना जरूरी है. इन मिथकों को दूर करने से व्यक्तियों को सटीक जानकारी के साथ सशक्त बनाया जा सकता है. अर्ली डिटेक्शन, हेल्दी लाइफस्टाइल और सही जानकारी कैंसर के खतरे को कम कर सकती है. इस बात को याद रखें कि नॉलेज के जरिए आप बीमारी से ज्यादा ताकत के साथ लड़ सकते हैं.


Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.