कोरोना का नया रूप दुनिया भर में कहर बनकर सामने आया है, जिसे JN.1 वेरिएंट कहा जाता है. यह ओमिक्रॉन वैरिएंट का ही एक वंशज है, जिसमें पहले के ओमिक्रॉन की तुलना में केवल एक स्पाइक म्यूटेशन है. शुरुआती रिपोर्ट्स और वैज्ञानिक कम्युनिटी का सुझाव है कि यह स्ट्रेन ओमिक्रॉन की तरह ही अत्यधिक संक्रामक है, लेकिन इसके लक्षण हल्के होते हैं.


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जहां कोरोना के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं वहीं, इसके बीच सांस लेने में तकलीफ और निमोनिया की चिंता लोगों को सता रही है. लेकिन एक्सपर्ट्स का कहना है कि घबराने की जरूरत नहीं है. जेएन.1 वेरिएंट आम लक्षणों में खांसी, जुकाम, गले में खराश, आवाज का बैठना और हल्का बुखार शामिल हैं, जो आमतौर पर 4-5 दिनों में ठीक हो जाते हैं. कुछ मामलों में पेट खराब होने की समस्या भी देखी गई है. हालांकि, निमोनिया के बहुत कम मामले सामने आए हैं. ये मामले ज्यादातर सिंगापुर, चीन और अमेरिका से आ रहे हैं, और इनमें कमजोर इम्यूनिटी वाले बुजुर्ग मरीज या अन्य बीमारियों से ग्रस्त लोग शामिल हैं.


कोरोना में बार-बार क्यों होता है म्युटेशन?
कोविड-19 वायरस एक RNA वायरस है, जो जीवित जीवों के डीएनए के समान नहीं है. RNA वायरस अक्सर उत्परिवर्तन यानी म्युटेशन के अधीन होते हैं. म्युटेशन तब होता है जब वायरस की प्रतिकृति के दौरान एक गलती होती है. यह गलती वायरस के आनुवंशिक कोड में बदलाव का कारण बन सकती है. कोरोना वायरस में म्युटेशन होने के कई कारण हो सकते हैं, जैसे- वायरस की प्रतिकृति की प्रक्रिया, वायरस का संपर्क अन्य वायरसों से या वायरस का संपर्क इंसान के इम्यून सिस्टम से लड़ता है. इस प्रक्रिया के दौरान वायरस को नुकसान हो सकता है, जिससे म्युटेशन हो सकता है.


म्युटेशन के बाद क्या वायरस खतरनाक हो जाता है?
म्यूटेशन के बाद वायरस खतरनाक हो सकता है. म्यूटेशन वायरस के आनुवंशिक कोड में परिवर्तन हैं. ये परिवर्तन वायरस के व्यवहार को बदल सकते हैं, जिससे यह अधिक संक्रामक, अधिक गंभीर बीमारी का कारण बन सकता है या मौजूदा टीकों और उपचारों के लिए प्रतिरोधी हो सकता है. कोरोना वायरस में कई म्यूटेशन देखे गए हैं और इनमें से कुछ म्यूटेशन ने वायरस को अधिक संक्रामक और गंभीर बना दिया है.