इंसान का दिमाग और स्वास्थ्य एक दूसरे से जुड़े हुए हैं. एडवांस टेक्नोलॉजी, तेजी से विकास और बदलती लाइफस्टाइल के इस युग में, व्यक्तियों में तनाव की मात्रा भी चिंताजनक दर से बढ़ रही है, जिससे शारीरिक और पाचन स्वास्थ्य खराब हो रहा है. हमारा पाचन स्वास्थ्य न केवल इस पर निर्भर करता है कि हम क्या खाते हैं, बल्कि इस पर भी निर्भर करता है कि हम कैसा महसूस करते हैं. खुशी और उदासी जैसे इमोशन सीधे तौर पर हमारी खान-पान की आदतों को ट्रिगर करती हैं. तनाव और चिंता शरीर में तनाव हार्मोन कोर्टिसोल का उत्पादन करते हैं, जिससे हमारी आंत पर गहरा प्रभाव डालता है. आइए जानते हैं कैसे?


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डाइजेस्टिव इम्युनिटी
तनाव से भोजन को ठीक से पचाने की शक्ति कम हो जाती है. हमारे पाचन तंत्र में हजारों अच्छे और बुरे बैक्टीरिया होते हैं, जो पाचन में मदद करते हैं. तनाव में होने पर, शरीर में एक रासायनिक प्रतिक्रिया होती है जो इन अच्छे बैक्टीरिया को हटा देती है. इससे हमारा इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाती है और शरीर में सूजन आ जाती है. लंबे समय तक तनाव मानसिक थकान के साथ-साथ असुविधा के शारीरिक लक्षण भी पैदा कर सकता है.


कब्ज
सभी पोषक तत्वों को अब्जॉर्ब करने के लिए भोजन को एक विशेष समय तक पाचन तंत्र में रहना चाहिए. तनाव में होने पर, पाचन तंत्र पूरी तरह से रुक सकता है, जिससे कब्ज हो जाता है. इससे गैस, सूजन, पेट दर्द और वजन बढ़ने जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं.


अल्सर
लगातार तनाव से गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट में अल्सर हो सकता है. इन अल्सर से आंत की परत डैमेज हो जाती है. इसके परिणामस्वरूप दर्द, जलन और संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है. मामूली असुविधा से लेकर ब्लीडिंग तक, नुकसान की सीमा तनाव पेट में एसिड के उत्पादन को बढ़ाता है, जो इन अल्सर को बदतर बना देता है.


नियमित व्यायाम और मेडिटेशन
मेडिटेशन ध्यान केंद्रित करने और पॉजिटिव ऊर्जा उत्पन्न करने में मदद करता है. कई मेडिटेशन तकनीकें एक निश्चित विषय पर मन को शांति से केंद्रित करने और तनाव को कम करने में मदद करती हैं. शारीरिक गतिविधि तनाव को कम करती है और एंडोर्फिन के फ्लो को प्रोत्साहित करती है, जो दिमाग में नेचुरल दर्द निवारक के रूप में काम करता है. यह दिमाग को आराम देने में मदद करता है और शांति प्रदान करता है. योग जैसी गतिविधियों में खुद को शामिल करने से पॉजिटिव ऊर्जा उत्पन्न होती है और तनाव कम करने में मदद मिलती है.