जिंदगी आसान बनाने वाले गैजेट्स ही पहुंचा देंगे अस्पताल, स्टडी- इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स से होता है ब्रेन ट्यूमर
Do Cell Phones Cause Cancer: दैनिक जीवन में इस्तेमाल होने वाले उपकरणों से निकलने वाला कम मात्रा का EMF विकिरण ब्रेन ट्यूमर का कारण बनने की संभावना कम है. लेकिन फिर भी, एहतियात के तौर पर कुछ सावधानी बरतना फायदेमंद हो सकता है.
आधुनिक तकनीक की दुनिया में इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का बढ़ता हुआ इस्तेमाल लोगों के स्वास्थ्य को लेकर चिंता का विषय बन गया है. इन उपकरणों से निकलने वाले वैद्युत चुम्बकीय क्षेत्र (EMF) विकिरण को लेकर सवाल उठते हैं कि क्या इससे ब्रेन ट्यूमर का खतरा रहता है? इसका जवाब आप इस लेख की मदद से जान सकते हैं.
EMF विकिरण और कैंसर के बीच कनेक्शन
EMF विकिरण एक प्रकार की ऊर्जा होती है जो विद्युत धारा और चुंबकीय क्षेत्र के परस्पर क्रिया से उत्पन्न होती है. मोबाइल फोन, लैपटॉप, टैबलेट और वाई-फाई राउटर सहित कई इलेक्ट्रॉनिक उपकरण कम मात्रा में EMF विकिरण उत्सर्जित करते हैं. अध्ययनों से पता चला है कि उच्च मात्रा में EMF विकिरण के संपर्क में रहने से स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं, हालांकि अभी तक इस बात के पुख्ता सबूत नहीं मिले हैं कि इससे ब्रेन ट्यूमर का सीधा खतरा होता है.
रेडियो फ्रीक्वेंसी रेडिएशन से हो सकता है कैंसर
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की अंतर्राष्ट्रीय कैंसर शोध एजेंसी (IARC) ने रेडियो फ्रीक्वेंसी रेडिएशन को संभवतः मनुष्यों के लिए कैंसर के कारक के रूप में वर्गीकृत किया है. इसका मतलब यह है कि रेडियो तरंगें कुछ विशिष्ट प्रकार के ब्रेन ट्यूमर के विकास में भूमिका निभा सकती हैं. हालांकि, IARC यह स्पष्ट करता है कि "संभवतः" का मतलब निश्चित तौर पर नहीं है और इस दिशा में और अधिक शोध की आवश्यकता है.
कितना चिंताजनक है EMF रेडिएशन?
आपके दैनिक जीवन में पाए जाने वाले इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों से निकलने वाला EMF विकिरण काफी कमजोर होता है. मोबाइल फोन टावरों और हाई वोल्टेज बिजली लाइनों से निकलने वाले विकिरण की तुलना में यह बहुत कम मात्रा होता है. वर्तमान में उपलब्ध अध्ययनों के आधार पर यह कहना मुश्किल है कि दैनिक जीवन में इस्तेमाल होने वाले उपकरणों से निकलने वाला कम मात्रा का EMF विकिरण ब्रेन ट्यूमर का कारण बनता है.
सावधानी ही उपचार है
हालांकि अभी तक EMF विकिरण और ब्रेन ट्यूमर के बीच सीधा संबंध साबित नहीं हुआ है, फिर भी एहतियात के तौर पर कुछ सावधानी बरतना उचित है: फोन कॉल के लिए स्पीकरफोन या हेडसेट का इस्तेमाल करें. इससे फोन को कान से दूर रखा जा सकता है. रात को सोते समय फोन को दूर रखें. बच्चों का दिमाग विकसित हो रहा होता है, इसलिए एहतियात के तौर पर उन्हें कम उम्र में फोन देने से बचें.
इसे भी पढ़ें- बिल गेट्स ने बताया बच्चों को कब देना चाहिए मोबाइल, अपने बच्चों के लिए भी फॉलो करते हैं ये रूल