सर्दियों में शरीर में कई बदलाव होते हैं, जिसके कारण दिल और सांस संबंधी समस्याएं बढ़ने का खतरा बढ़ जाता है. इस मौसम में खान-पान में लापरवाही और शारीरिक गतिविधि कम होने से वजन बढ़ने और तनाव बढ़ने की भी संभावना रहती है. इन सब बातों का दिल की सेहत पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है.


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सर्दियों में धमनियों के सिकुड़ने, एड्रेनालाईन के स्राव (adrenaline secretion) में वृद्धि, प्लेटलेट्स का एक साथ एकत्रित होना, खून के थक्के बढ़ने आदि के कारण हार्ट अटैक और हाई ब्लड प्रेशर का खतरा बढ़ जाता है. इसके अलावा इस समय हवा में प्रदूषण भी बढ़ जाता है, जिससे सूजन होती है और यह दिल की बीमारी का एक और फैक्टर है. नीचे कुछ सरल उपाय बताएं गए हैं, जिनकी मदद से सर्दियों में दिल और सांस की बीमारी से बचा जा सकता है.


अपने वजन और बीपी की निगरानी करें
अपने ब्लड प्रेशर और शरीर के वजन की नियमित रूप से जांच करवाएं और यदि आवश्यक हो तो इसे नियंत्रित करें. हाई ब्लड प्रेशर को कम करने वाली दवाइयों की मात्रा में बदलाव करना पड़ सकता है और नमक का सेवन कम करना चाहिए. यदि शरीर का वजन थोड़ा भी बढ़ता है, तो अपने कैलोरी का सेवन कम करें और शारीरिक गतिविधियों/व्यायाम को बढ़ाएं. यदि आपका ब्लड शुगर या कोलेस्ट्रॉल का स्तर अधिक है, तो अपने डॉक्टर से सलाह लें कि क्या आपको संबंधित दवाओं की अधिक खुराक की आवश्यकता है.


दिन के समय व्यायाम करें
कम तापमान के हानिकारक प्रभावों से बचने के लिए सुबह या शाम के बजाय व्यायाम/नियमित सैर दिन के समय में करें. इस बात का ख्याल दिल की बीमारी से पीड़ित लोगों को ज्यादा रखना चाहिए. टहलना सबसे अच्छा व्यायाम है क्योंकि यह आपको तनाव नहीं देता है. मौसम के अनुसार गर्म कपड़े पहनें और व्यायाम से पहले और बाद में पर्याप्त पानी पिएं.


गर्म पानी से नहाएं
एक जापानी अध्ययन में पाया गया है कि पूरे शरीर को गर्म पानी (40 डिग्री सेंटीग्रेड) में स्नान कराने और स्नान करने से धमनियां फैलती हैं और ब्लड फ्लो बढ़ता है. इसके अलावा, गर्म पानी शरीर के नेचुरल थर्मल बैलेंस के साथ अच्छी तरह से मेल खाता है और जर्म्स को दूर रखता है. गुनगुने पानी से शरीर का तापमान बढ़ता है और ब्लड सर्कुलेशन को बढ़ावा मिलता है.


नियमित रूप से भाप लें
सर्दियों में सांस की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है क्योंकि ठंडी हवा सांस की नली को सुखा देती है और बलगम कम बनाती है. ये बलगम ही पहली कड़ी की तरह जर्म्स को फंसा लेते हैं. ठंडी हवा नली को भी ज्यादा सेंसिटिव बनाती है, जिससे अस्थमा और सांस की नली की पुरानी बीमारी (सीओपीडी) बढ़ सकती है. इसलिए, सर्दियों में भाप लें ताकि सांस नली ज्यादा बंद न हो जाए. भाप बलगम को बाहर निकालने में भी मदद करती है.