गर्भावस्था के दौरान एक गंभीर बीमारी, हेमोलिटिक एनीमिया (एचडीएफएन), के इलाज के लिए एक नई दवा ने वैज्ञानिकों को उत्साहित कर दिया है। इस बीमारी में मां और बच्चे के रक्त समूह अलग होने के कारण बच्चे में गंभीर एनीमिया हो जाता है. अब तक इस बीमारी के इलाज के लिए गर्भ के अंदर ही बच्चे को खून चढ़ाना पड़ता था, जो काफी जोखिम भरा होता था. लेकिन अब इसका इलाज आसान होगा. 


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क्या है हेमोलिटिक एनीमिया?

हेमोलिटिक एनीमिया एक ऐसी स्थिति है जिसमें शरीर लाल रक्त कोशिकाओं को सामान्य से अधिक तेजी से नष्ट कर देता है. गर्भावस्था के दौरान, अगर मां और बच्चे का रक्त समूह अलग होता है, तो मां के शरीर में बच्चे की लाल रक्त कोशिकाओं के खिलाफ एंटीबॉडी बन सकती हैं. ये एंटीबॉडी बच्चे की लाल रक्त कोशिकाओं को नष्ट कर देती हैं, जिससे बच्चे में गंभीर एनीमिया हो जाता है.

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इस दवा से इलाज होगा आसान

निपोकैलिमैब एक ऐसी दवा है जो प्लेसेंटा में हानिकारक एंटीबॉडी के स्थानांतरण को रोकती है. इससे बच्चे की लाल रक्त कोशिकाएं सुरक्षित रहती हैं और एनीमिया का खतरा कम हो जाता है.


शोध में क्या निकला?

टेक्सास विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने 13 गर्भवती महिलाओं पर इस दवा का परीक्षण किया, जिनके पहले गर्भाधान में एचडीएफएन के कारण भ्रूण की मौत हो गई थी या गर्भ के अंदर खून चढ़ाना पड़ा था. अध्ययन में पाया गया कि इस दवा से 54% महिलाओं ने बिना खून चढ़ाए स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया.


निपोकैलिमैब दवा के क्या फायदे हैं?

यह गर्भ के अंदर खून चढ़ाने की जरूरत को कम करती है.
यह भ्रूण की मौत और समय से पहले जन्म के जोखिम को कम करती है.
यह भ्रूण हाइड्राप्स जैसी गंभीर स्थितियों को रोकती है.