आज के समय में सेहत के प्रति जागरूकता बढ़ती जा रही है. लोग छोटी से छोटी बीमारी का पता लगाने के लिए जांच करवाना पसंद करते हैं. ऐसे में सीटी स्कैन एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. सीटी स्कैन यानी कंप्यूटेड टोमोग्राफी स्कैन एक ऐसी तकनीक है जिसके जरिए शरीर के अंदर की तस्वीरें देखी जा सकती हैं. यह एक्स-रे की तरह ही होता है लेकिन इससे ज्यादा डिटेल में तस्वीरें मिलती हैं.


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ट्रिविट्रॉन हेल्थकेयर के ग्रुप चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर सत्यकी बनर्जी बताते हैं कि सीटी स्कैन का इस्तेमाल कई तरह की बीमारियों की पहचान करने के लिए किया जाता है. यह कैंसर, दिल की बीमारियां, फेफड़ों की बीमारियां, ब्रेन ट्यूमर, किडनी स्टोन, लिवर की समस्याएं और कई अन्य बीमारियों का पता लगाने में मदद करता है.


कैसे काम करता है सीटी स्कैन?
सीटी स्कैन में एक्स-रे मशीन आपके शरीर के चारों ओर घूमती है और एक्स-रे बीम आपके शरीर के अंदर से गुजरती हैं. ये बीम एक कंप्यूटर द्वारा डिटेक्ट की जाती हैं और एक 3D इमेज बनाती हैं. इस इमेज की मदद से डॉक्टर आपके शरीर के अंदर की स्थिति को देख सकते हैं.


सीटी स्कैन के फायदे
* सीटी स्कैन से कई बीमारियों का जल्दी पता चल जाता है. इससे इलाज शुरू करने में मदद मिलती है.
* सीटी स्कैन से मिलने वाली तस्वीरें बहुत ही डिटेल में होती हैं. इससे डॉक्टर बीमारी के बारे में ज्यादा जानकारी प्राप्त कर सकते हैं.
* सीटी स्कैन कराने में ज्यादा समय नहीं लगता है. यह एक तेजी से होने वाली जांच है.


सीटी स्कैन के साइड इफेक्ट्स
हालांकि सीटी स्कैन बहुत ही उपयोगी तकनीक है लेकिन इसके कुछ साइड इफेक्ट्स भी हैं. एक्स-रे रेडिएशन के संपर्क में आने से कैंसर का खतरा थोड़ा बढ़ सकता है. इसलिए डॉक्टर जरूरत पड़ने पर ही सीटी स्कैन करवाने की सलाह देते हैं.


कब करवाएं सीटी स्कैन?
सीटी स्कैन तभी करवाना चाहिए जब डॉक्टर की सलाह हो. अगर आपको किसी तरह की समस्या है तो डॉक्टर आपको बताएंगे कि सीटी स्कैन करवाना जरूरी है या नहीं.