डायबिटीज से पीड़ित लोगों के लिए बढ़ना एक बड़ा खतरा माना जाता रहा है, लेकिन एक नए अध्ययन दावा किया गया है कि वजन बढ़ने के बावजूद डायबिटीज पीड़ितों में मौत का खतरा ज्यादा नहीं होता. अध्ययन के मुताबिक, यदि 65 वर्ष से ज्यादा उम्र वाले डायबिटीज मरीजों का वजन बढ़ जाता है, तब भी दिल की बीमारी से मरने का खतरा ज्यादा नहीं है.


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ब्रिटेन में यूके बायोबैंक के हेल्थ डाटा का अध्ययन कर ये निष्कर्ष निकाले गए हैं. इसके मुताबिक, 65 साल या उससे कम उम्र के लोगों के लिए 23-25 की सामान्य सीमा के भीतर बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) बनाए रखना दिल की बीमारी से मरने के सबसे कम खतरे से लिंक है. हालांकि, 65 वर्ष से ज्यादा उम्र वालों के लिए 26-28 के बीएमआई के साथ मामूली रूप से थोड़ा ज्यादा वजन होने से खतरा बहुत ज्यादा नहीं है.


प्रमुख शोधार्थी डॉ. शाओयोंग जू ने कहा कि अध्ययन में हमने पाया कि टाइप-2 डायबिटीज वाले लोगों के लिए ऑप्टीमल बीएमआई कार्डियो मेटाबोलिक रिस्क फैक्टर उम्र के अनुसार अलग होता है. निष्कर्षो से पता चलता है कि बुजुर्ग व्यक्तियों के लिए जिनका वजन सामान्य से अधिक है (लेकिन वे मोटे नहीं हैं) उनके लिए वजन कम करने के बजाय उसे बनाए रखना दिल की बीमारी से मरने के खतरे को कम करने का प्रैक्टिकल तरीका हो सकता है.


इस तरह किया अध्ययन
शोधकर्ताओं ने टाइप-2 डायबिटीज वाले 22,874 प्रतिभागियों में बीएमआई और दिल की बीमारी से मौत के खतरे के बीच उम्र के अंतर का पता लगाया. प्रतिभागियों की औसत उम्र 59 वर्ष थी. शोधकर्ताओं ने दो आयु समूहों बुजुर्ग (65 वर्ष से ज्यादा) और मध्यम आयु वर्ग (65 वर्ष या उससे कम उम्र) में डाटा का विश्लेषण किया.


दिल की बीमारी से 30% मौतों की वजह ज्यादा नमक खाना
नमक का ज्यादा सेवन दिल की बीमारी से 30 फीसदी मौतों की वजह है. जामा नेटवर्क ओपन में प्रकाशित अध्ययन के अध्ययन हुआ. उन्होंने पाया कि 64,329 प्रतिभागियों पर 17,811 मौतें हुई. इनमें से 5701 मौतें दिल की बीमारी के कारण हुई. ये सभी अधिक नमक का सेवन कर रहे थे.