भारत में कुपोषितों की संख्या घटी, मोटापा बढ़ा, UN रिपोर्ट का दावा
भारत में पिछले एक दशक में कुपोषित लोगों की संख्या छह करोड़ तक घट गई है.
संयुक्त राष्ट्र: भारत में पिछले एक दशक में कुपोषित लोगों की संख्या छह करोड़ तक घट गई है. संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई जिसमें यह भी कहा गया कि बच्चों में बौनेपन की समस्या कम हो गई है लेकिन देश के वयस्कों में मोटापा बढ़ रहा है. भूख एवं कुपोषण को समाप्त करने की प्रगति पर नजर रखने वाली सबसे आधिकारिक वैश्विक अध्ययन माने जाने वाली इस रिपोर्ट में कहा गया कि भारत में अल्पपोषित लोगों की संख्या 2004-06 के 24.94 करोड़ से घटकर 2017-19 में 18.92 करोड़ हो गई. प्रतिशत के हिसाब से देखें तो भारत की कुल आबादी में अल्पपोषण की व्यापकता 2004-06 में 21.7 प्रतिशत से घटकर 2017-19 में 14 प्रतिशत हो गई.
इसमें कहा गया, 'दो उपक्षेत्रों जिनमें अल्पपोषण में कमी दिखी है- पूर्वी एवं दक्षिण एशिया में- वहां महाद्वीप की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं- चीन और भारत का वर्चस्व है.'
बौनापन घटा, मोटापा बढ़ा
इसमें यह भी कहा गया कि भारत में पांच साल से कम उम्र के बच्चों में बौनेपन की समस्या भी 2012 में 47.8 प्रतिशत से घटकर 2019 में 34.7 प्रतिशत हो गई यानि 2012 में यह समस्या 6.2 करोड़ बच्चों में थी जो 2019 में घटकर 4.03 करोड़ हो गई.
रिपोर्ट में कहा गया कि ज्यादातर भारतीय वयस्क 2012 से 2016 के बीच मोटापे के शिकार हुए. मोटापे से ग्रस्त होने वाले वयस्कों की संख्या 2012 के 2.52 करोड़ से बढ़कर 2016 में 3.43 करोड़ हो गई यानी 3.1 प्रतिशत से बढ़कर 3.9 प्रतिशत हो गई.
वहीं खून की कमी (अनीमिया) से प्रभावित प्रजनन आयु वर्ग (15-49) की महिलाओं की संख्या 2012 में 16.56 करोड़ से बढ़कर 2016 में 17.56 करोड़ हो गई. 0-5 माह के शिशु जो पूरी तरह स्तनपान करते हैं उनकी संख्या 2012 के 1.12 करोड़ से बढ़कर 2019 में 1.39 करोड़ हो गई.
एशिया में भूखों की संख्या सबसे ज्यादा है लेकिन यह अफ्रीका में भी तेजी से बढ़ रहा है. रिपोर्ट के अनुमान के मुताबिक दुनिया भर में, कोविड-19 वैश्विक महामारी के कारण 2020 के अंत तक 13 करोड़ और लोग भूख की गंभीर समस्या का सामना करने पर मजबूर हो जाएंगे.
सोमवार को जारी, ‘विश्व में खाद्य सुरक्षा एवं पोषण स्थिति रिपोर्ट’ के अनुमान के मुताबिक 2019 में दुनिया भर में करीब 69 करोड़ लोग अल्पपोषित (या भूखे) हैं. यह संख्या 2018 के मुकाबले एक करोड़ ज्यादा है. इस रिपोर्ट को संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ), अंतरराष्ट्रीय कृषि विकास कोष (आईएएफडी) , संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ), संयुक्त राष्ट्र विश्व खाद्य कार्यक्रम (डब्ल्यूएफपी) और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की ओर से संयुक्त रूप से तैयार किया गया है.
(इनपुट: एजेंसी भाषा)