Mental Health: बुजुर्गों को दें प्यार और सम्मान, इन रणनीतियों से बनाएं उनका जीवन खुशहाल
मेंटल हेल्थ के माहौल को प्रायोरिटी देना बेहद जरूरी है, चाहे इंसान किसी भी उम्र का क्यों न हो. हालांकि, जैसे-जैसे लोगों की उम्र बढ़ती है, सकारात्मक माहौल को बढ़ावा देना जरूरी हो जाता है.
मेंटल हेल्थ के माहौल को प्रायोरिटी देना बेहद जरूरी है, चाहे इंसान किसी भी उम्र का क्यों न हो. हालांकि, जैसे-जैसे लोगों की उम्र बढ़ती है, सकारात्मक माहौल को बढ़ावा देना जरूरी हो जाता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, 60 या उससे ज्यादा आयुवर्ग के तकरीबन 14% वयस्क मेंटल हेल्थ से जुड़ी समस्याओं से पीड़ित हैं.
वेस्टा एल्डर केयर के फाउंडर राहुल मिश्रा ने बताया कि बुजुर्गों में मेंटल हेल्थ संबंधी लक्षण को अक्सर कम पहचाना जाता है और उनका अच्छी तरह से उपचार नहीं किया जाता है और ऐसी स्थितियों में होने वाली संभावित बदनामी लोगों की मदद मांगने की इच्छा को बेहद कमजोर कर सकती है.
इच्छा की समझ-पहचान पैदा करें
इच्छा की समझ-पहचान होना या किसी चीज की प्रतीक्षा करना बहुत महत्वपूर्ण है. बुजुर्गों के लिए उनकी पसंदीदा एक्टिविटी में शामिल होने में मदद करना या ध्यान जैसी धार्मिक या आध्यात्मिक एक्टिविटी में भाग लेना उन्हें मूल्यवान और महत्वपूर्ण महसूस करने में मदद कर सकता है, और बदले में उनकी मेंटल हेल्थ में सुधार करने में मदद कर सकता है.
सामाजिक संपर्क बढ़ाएं
सामाजिक अलगाव एक ऐसी ही अवस्था है जिससे ज्यादातर बुजुर्ग पीड़ित हैं, जिस कारण उनमें तनाव, चिंता और दूसरे सभी नकारात्मक लक्षण पैदा हो जाते हैं. सामाजिक मेलजोल को बढ़ावा देने से इस तरह के खतरों को कम करने में मदद मिल सकती है. परिवार और दोस्तों से अक्सर मिलनाजुलना, कम्युनिटी ग्रुप्स में हिस्सा लेना, साथ ही बुक क्लब्स या हॉबी ग्रुप्स जैसी सामाजिक एक्टिविटी में भाग लेने से मूल्यवान सामाजिक समर्थन मिल सकता है. टेक्नोलॉजी भी इसमें अहम भूमिका निभा सकती है; बुजुर्गों को सोशल मीडिया या वीडियो कॉलिंग ऐप का इस्तेमाल करना सिखाने से उन्हें दूर रहते हुए भी अपने प्रियजनों से जुड़े रहने में मदद मिल सकती है.
अच्छी डाइट पर ध्यान दें
मेंटल हेल्थ सहित पूरी सेहत के लिए अच्छा पोषण आहार जरूरी है. एक बैलेंस डाइट जो फलों, सब्जियों, साबुत अनाज, प्रोटीन और हेल्थी फैट से भरपूर हो, मनोस्थिति और एनर्जी के लेवल पर पॉजिटिव प्रभाव डाल सकता है. पोषक तत्वों की कमी, खासकर विटामिन बी12 और डी की कमी, मनोस्थिति संबंधी डिसऑर्डर यानी मूड डिसऑर्डर को जन्म दे सकती है, इसलिए, जरूरत पड़ने पर उपयुक्त डाइट या सप्लीमेंट्री डाइट के जरिए इनका समाधान करना जरूरी है.
शारीरिक गतिविधि को बढ़ावा देना
स्वस्थ शरीर मेंटल हेल्थ से नजदीकी से जुड़ा हुआ है. नियमित तौर पर शारीरिक एक्टिविटी को बढ़ावा देने से मनोस्थिति में सुधार करने, चिंता करने जैसी समस्या को कम करने और कॉग्निटिव फंक्शन में बढ़ोतरी करने में मदद मिल सकती है. पैदल चलना, सैर करना या सीनियर एक्सरसाइज क्लास में भाग लेने जैसी साधारण एक्टिविटी बड़े बदलाव ला सकती हैं.
संक्षेप में, बुजुर्गों में पॉजिटिव भावना और मेंटल हेल्थ में सुधार करने के लिए एक पूर्ण दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत होती है, जिसमें शारीरिक, सामाजिक, इमोशनल और कॉग्निटिव हेल्थ पर विचार किया जाना चाहिए. इन रणनीतियों पर अमल करके, हम बुजुर्गों को संतोषजनक, खुशहाल और मानसिक रूप से स्वस्थ जीवन जीने में मदद कर सकते हैं.