20 साल की टेनेसी की रहने वाली केली एक दुर्लभ जेनेटिक बीमारी लोइस-डीट्ज सिंड्रोम (LDS) से जूझ रही हैं, जिसे वह 'मेल्टिंग डिसऑर्डर' यानी पिघलने वाली बीमारी कहती हैं. इस बीमारी में शरीर के की हड्डियों, मसल्स और अंगों को सहारा देने वाले कनेक्टिव टिशूज कमजोर हो जाते हैं. यह बीमारी केवल दो दशक पहले ही डॉक्टरों द्वारा खोजी गई थी.


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केली का कहना है कि उनके शरीर की कनेक्टिव टिशूज इतनी कमजोर हैं कि उनका शरीर अंदर से पिघल रहा है. इस बीमारी के कारण उनके शरीर में क्लब फुट, जॉइंट्स का ज्यादा लचीला होना, ऑस्टियोआर्थराइटिस, स्कोलियोसिस और दिल व खून की नसों में कमजोरियां पाई जाती हैं. डेली मेल की एक रिपोर्ट के अनुसार, केली को जन्म के तुरंत बाद पैरों की स्थिति सुधारने के लिए सर्जरी करनी पड़ी थी. 9 साल की उम्र में ही उनके दिल ने काम करना बंद कर दिया, क्योंकि कमजोर टिशूज के कारण उनका दिल असामान्य रूप से बड़ा हो गया था.


जीवन में खतरे और चुनौतियां
केली के शरीर में छह एन्यूरिज्म (ब्लड वेसल्स का गुब्बारे जैसा फूला होना) हैं, जो किसी भी समय फट सकते हैं और जानलेवा साबित हो सकते हैं. अब तक केली करीब 20 स्पाइनल सर्जरी करा चुकी हैं और उनकी रीढ़ की हड्डी को सपोर्ट देने के लिए सात रॉड्स लगाए गए हैं. LDS के मरीजों की औसत जीवन प्रत्याशा 37 साल होती है, लेकिन केली इस सीमित समय को अपनी पसंद से जीना चाहती हैं.


हिम्मत और जज्बा
अपने संघर्षों के बावजूद केली का कहना है कि मैं खुद को सबसे खुशकिस्मत इंसान मानती हूं. हालांकि, वह अपनी स्थिति और मृत्यु की अनिश्चितता को लेकर चिंतित रहती हैं. उन्होंने हाल ही में अपने एक दोस्त को इस बीमारी के कारण खो दिया, जिससे उनका दर्द और बढ़ गया. केली का कहना है कि मैं अपनी जिंदगी को पूरी तरह से जीना चाहती हूं, चाहे आधा समय अस्पताल में ही क्यों न बिताना पड़े. उनकी कहानी हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा है, जो मुश्किलों से लड़ रहा है.