National Bone and Joint Day 2024: भारत में जोड़ों का दर्द काफी आम है, पहले ये परेशानी सिर्फ बुजुर्गों या मिडिल एज के लोगों में देखने को मिलती थी, लेकिन वक्त साथ काफी बदलाव आ गया है. अब यंग लोग भी इस दिक्कत का सामना कर रहे हैं. जाहिर सी बात है कि ये समस्या हमारे देश में बढ़ती जा रही है लेकिन ज्वाइंट पेन को लेकर जागरूकता की बात आती है तो काफी लोग इसमें पीछे रह जाते हैं.


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बोन हेल्थ को लेकर अवेरसनेस की कमी


हेल्थकेयर प्रोवाइडर 'प्रिस्टिन केयर' के एक सर्वे में भारतीयों में बोन और ज्वाइंट हेल्थ के बारे में जागरूकता की एक बड़ी कमी देखने को मिली है. 'नेशनल बोन एंड ज्वाइंट डे'  हर साल भारत में सेहतमंद हड्डियों और जोड़ों की अहमियत के बारे में अवेयरनेस फैलाने के लिए मनाया जाता है. रिसर्च में पाया गया कि लगातार जोड़ों के दर्द से पीड़ित 60 फीसदी लोग प्रोफेशनल की मेडिकल सलाह लेने में कतराते हैं. स्टडी में आगे पता चला कि सिर्फ 5 में से 1 रिस्पॉन्डेंट ही हड्डी और जोड़ों के स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों के बारे में जानकार हैं. ये फाइंडिंग्स बोन और ज्वाइंट के हेल्थ के मामले में अवेरनेस और एक्शन के बीच एक अहम गैप को जाहिर करता है.


'बोन डेंसिटी टेस्ट' की जानकारी नहीं

एक तिहाई से ज्यादा रिस्पॉन्डेंट्स ने हड्डी और जोड़ों से संबंधित समस्याओं का कारण फेमिली हिस्ट्री बताया, जो इन कंडीशन में जेनेटिक प्रडिस्पोजीशन को हाइलाइट करता है. इसके अलावा, चौंकाने वाले 67% प्रतिभागियों को बोन डेंसिटी टेस्ट के बारे में जानकारी नहीं थी, जो ऑस्टियोपोरोसिस (Osteoporosis) जैसी बोन डिजीज के शुरुआती पता लगाने के लिए एक अगम डायगनोस्टिक टूल है.



कैसे होगा सुधार?


'प्रिस्टिन केयर' के को फाउंडर डॉ. वैभव कपूर (Dr. Vaibhav Kapoor) ने जोर देकर कहा, "आज, जब हम 'नेशनल बोन एंड ज्वाइंट डे' मना रहे हैं, तो हमारे अध्ययन के निष्कर्ष भारतीय स्वास्थ्य सेवा में एक दबावपूर्ण मुद्दे को उजागर करते हैं. हड्डी और जोड़ों के स्वास्थ्य के बारे में जागरूकता की एक महत्वपूर्ण कमी है. 45% रिस्पॉन्डेंट को इन जरूरी स्वास्थ्य चिंताओं के बारे में जानकारी नहीं होने के साथ, सार्वजनिक शिक्षा और जागरूकता की पहल को प्राथमिकता देने की तत्काल आवश्यकता है. जरूरी टूल्स और नॉलेज देकर, हम भारतीयों को बेहतर हड्डी और जोड़ों के स्वास्थ्य की दिशा में सक्रिय कदम उठाने के लिए सशक्त बना सकते हैं, जिससे आखिर में हमारे देश के ओवरऑल हेल्थ और वेलबीइंग में सुधार होगा."
 


'क्योर माई नी' के सीनियर ऑर्थोपेडिक सर्जन और फाउंडर डॉ. डीके दास (Dr. D.K Das) ने इन रिजल्ट्स पर कमेंट करते हुए कहा, "वाइडस्प्रेड ज्वाइंट पेन और हड्डी से जुड़ी समस्याओं की अहम फैमिली हिस्ट्री का कॉम्बिनेशन बेहतर प्रिवेंटिव हेल्थकेयर की एक अहम जरूरतको इंडिकेट करता है. फैक्ट ये है कि 60% लोगों ने अपने लक्षणों के बारे में डॉक्टर से सलाह नहीं ली है, जो इस विसंगति को उजागर करता है जिसके कारण छूटा हुआ डायनोसिस और अनट्रीटेड कंडीशन हो सकते हैं. हमें गंभीर हड्डी और जोड़ों के रोगों की घटनाओं को कम करने के लिए अर्ली टेस्ट और ट्रीटमेंट में सुधार के लिए इस अंतर को कम करना चाहिए."