Nanoparticles Will Diagnose Arterial Plaque: दिल की बीमारी कितनी खतरनाक है इसका पता दुनियाभर में सालाना आंकड़ों से चलता है. वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) के मुताबिक ग्लोबल लेवल पर हर साल तकरीबन 17.9 मिलियन लोगों की जान कार्डियोवेस्कुलर डिजीज से चलता है. अगर शुरुआत में ही इस बीमारी का पता चल जाए तो काफी हद तक खतरे को टाला जा सकता है. सिंगापुर के 'द स्ट्रेट टाइम्स' में छपी रिपोर्ट के मुताबिक एक नई स्टडी में ये बात सामने आई है कि नैनोपार्टिकल्स की मदद से नसों में प्लेक या ब्लॉकेज को डाग्नोज करने में काफी हद तक कामयाबी हासिल हुई है.


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दिल के मरीजों के लिए राहत की खबर


सिंगापुर के एनयूएस योंग लू लिन स्कूल ऑफ मेडिसिन (NUS Yong Loo Lin School of Medicine) के रिसर्चर्स द्वारा की गई एक अहम स्टडी ने कोरोनरी हार्ट डिडीज (Coronary Heart Disease) और इस्केमिक स्ट्रोक (Ischaemic Stroke) जैसी दिल की बीमारी के अहम फैक्टर, एथेरोस्क्लेरोसिस (Atherosclerosis) के डायग्नोसिस और ट्रीटमेंट में नैनोपार्टिकल्स की क्षमता का प्रदर्शन किया है. 'स्मॉल'  में छपी स्टडी ये बताती है कि कैसे ये सूक्ष्म कण, 100 नैनोमीटर से कम आकार के, डायग्नोसिस और इलाज दोनों के लिए धमनियों में पलेक बिल्डअप को टारगेट कर सकते हैं।



 नैनोपार्टिकल्स कैसे काम करते हैं?


इस स्टडी में डेवलप्ड  नैनोपार्टिकल्स को एथेरोस्क्लेरोटिक प्लेक के एसिडिक एनवायरनमेंट में डिग्रेड करने के लिए डिज़ाइन किया गया है. टूटने पर, वो गैडोलिनियम (Gadolinium) छोड़ते हैं, एक विपरीत एजेंट जो एमआरआई को बढ़ाता है, जिससे प्लेक की गंभीरता का सटीक व्यू हासिल होता है साथ ही, वे सिम्वास्ताटिन (Simvastatin), एक एंटी इंफेलेमेंट्री दवा प्रदान करते हैं जो प्लेक को स्थिर करती है और कार्डियोवेस्कुलर रिसक् को कम करती है.


नैनोपार्टिकल्स के फायदे


1. नॉन-इनवेसिव डायग्नोसिस
इंट्रावस्कुलर अल्ट्रासाउंड जैसी इनवेसिव प्रोसीजर के उलट, नैनोपार्टिकल्स ब्लड वेसेल्स और प्लेक स्ट्रक्चर की हाई-रिज़ॉल्यूशन इमेज जारी करने के लिए एमआरआई के साथ काम करते हैं.


2. टारगेट दवा की डिलिवरी
नैनोपार्टिकल्स ओरल एडमिनिस्ट्रेशन की तुलना में प्लेक को 1,000 गुना ज्यादा दवा पहुंचा सकते हैं, जिससे इफिकेसी में सुधार होता है और बुरे असर कम होते हैं.


3. एडेप्टेबिलिटी
अगर सूजन या प्लेक मौजूद नहीं है, तो नैनोपार्टिकल्स डिग्रेड हो जाते हैं या सुरक्षित रूप से बाहर निकल जाते हैं, जिससे पेशेंड के लिए न्यूनतम जोखिम पैदा करते हैं.



भविष्य की संभावनाएं
इस स्टडी को लीड करने वाले असिस्टेंट प्रोफेसर वांग जियोंग-वेई (Wang Jiong-Wei), नैनोपार्टिकल्स को इमेजिंग और चिकित्सीय एजेंटों दोनों के लिए बहुमुखी वितरण वाहनों के रूप में देखते हैं. ये ट्रीटमेंट को आसान बना सकता है, रोगियों को कई एक्सपर्ट से सलाह लेने की जरूरत को कम कर सकता है, और संभावित रूप से हेल्थ केयर के खर्च को कम कर सकता है. प्रोफेसर वांग अगले 3 से 5 सालों के भीतर इसके क्लीनिकल ट्रायल शुरू करने के बारे में आशावादी हैं.


इस नैनोपार्टिकल-बेस्ड सिस्टम की कामयाबी अन्य बीमारियों के डायग्नोसिस और इलाज में इसके यूज के रास्ते को साफ कर सकती है. हालांकि ये अभी भी अपने प्रूफ ऑफ कॉनसेप्ट के स्टेज में है, ये तकनीक नॉन-इनवेसिव कार्डियोवेस्कुलर केयर और पर्सनलाइज्ड मेडिसिन में एक अहम एडवांसमेंट को रिप्रजेंट करती है.
 


Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मक़सद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.