नई दिल्ली: केरल से शुरू हुआ निपाह वायरस का आतंक अभी तक थमा नहीं है. निपाह वायरस की चपेट में आने से अब तक 13 लोगों की मौत हो चुकी है. लेकिन, निपाह को लेकर एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है. दरअसल, निपाह को लेकर यह बात सामने आई थी कि यह वायरस चमगादड़ की लार से फैलता है. चमगादड़ के चखे फलों से यह इंसान या जानवर में फैलता है. लेकिन, ऐसा नहीं है. जांच में यह बात सामने आई है कि निपाह वायरस का मुख्य कारण चमगादर नहीं है. अधिकारियों ने केरल के कोझिकोड और मल्लपुरम में 13 जिंदगियां छीनने वाले निपाह वायरस के फैलने के पीछे चमगादड़ के होने की बात से इनकार कर दिया है.


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स्वास्थ्य मंत्रालय की रिपोर्ट
स्वास्थ्य मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि रिपोर्ट में निपाह वायरस फैलने में चमगादड़ और सूअर के मूल स्रोत होने से इनकार किया गया है. मेडिकल टीम अब निपाह वायरस फैलने के दूसरे संभावित कारणों का पता लगा रही है. टीम ने कुल 21 नमूनों की जांच की थी, जिसमें से सात चमगादड़, दो सूअर, एक गोवंश और एक बकरी या भेड़ से था. इन नमूनों में निपाह वायरस नहीं पाए गए हैं. लेकिन, हम आपको बता दें, निपाह दुनिया का सबसे खतरनाक वायरस नहीं है. बल्कि दुनिया में और भी ऐसे वायरस हैं जो मिनटों में मौत की नींद सुला देते हैं.


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ये हैं दुनिया के पांच सबसे खतरना वायरस


1. निपाह वायरस के डर से लोग फल खाने से बच रहे हैं. इसे अब तक सबसे खतरनाक वायरस बताया जा रहा है. लेकिन, दुनिया का सबसे खतरनाक वायरस मारबुर्ग वायरस है. इस वायरस का नाम लान नदी पर बसे छोटे और शांत शहर पर है. लेकिन, इसका बीमारी से कुछ लेना देना नहीं है. मारबुर्ग रक्तस्रावी बुखार का वायरस है. इबोला की तरह इस वायरस के कारण मांसपेशियों के दर्द की शिकायत रहती है. श्लेष्मा झिल्ली, त्वचा और अंगों से रक्तस्राव होने लगता है. 90 फीसदी मामलों में मारबुर्ग के शिकार मरीजों की मौत हो जाती है.


2. इबोला वायरस की पांच नस्लें हैं. हर एक का नाम अफ्रीका के देशों और क्षेत्रों पर रखा गया है. जायरे, सुडान, ताई जंगल, बुंदीबुग्यो और रेस्तोन. जायरे इबोला वायरस जानलेवा है, इसके शिकार 90 फीसदी मरीजों की मौत हो जाती है. इस नस्ल का वायरस फिलहाल गिनी, सियरा लियोन और लाइबिरिया में फैला हुआ है. वैज्ञानिकों का कहना है कि शायद फ्लाइंग फॉक्स से यह शहरों में फैला होगा.


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3. तीसरे नंबर पर हंटा वायरस है. हंटा वायरस के कई प्रकार का वर्णन है. इस वायरस का नाम उस नदी पर रखा गया है जहां माना जाता है कि सबसे पहले अमेरिकी सैनिक इसकी चपेट में आए थे. 1950 के कोरियाई युद्ध के दौरान वह इसकी चपेट में आए थे. इस वायरस के लक्षणों में फेफड़ों के रोग, बुखार और गुर्दा खराब होना शामिल हैं.


4. लस्सा वायरस से संक्रमित होने वाली पहली शख्स नाइजीरिया में एक नर्स थी. यह वायरस चूहों और गिलहरियों से फैलता है. यह वायरस एक विशिष्ट क्षेत्र में होता है, जैसे पश्चिमी अफ्रीका. इसकी कभी भी पुनरावृत्ति हो सकती है. वैज्ञानिकों का मानना है कि पश्चिम अफ्रीका में 15 फीसदी कतरने वाले जानवर इस वायरस को ढोते हैं.


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5. बर्ड फ्लू की विभिन्न नस्लें आतंक का कारण होती हैं. क्योंकि, इसमें मृत्यु दर 70 फीसदी है. लेकिन, वास्तव में H5N1 नस्ल के वायरस के चपेट में आने का जोखिम बेहद कम होता है. आप सिर्फ तभी इस वायरस के चपेट में आते हैं जब आपका संपर्क सीधे पोल्ट्री से होता है. यही वजह है कि ऐसा कहा जाता है कि एशिया में ज्यादातर मामले क्यों सामने आते हैं. वहां अक्सर लोग मुर्गियों के करीब रहते हैं.