गोलगप्पे या जहर? पानीपूरी का मिलावटी धंधा, FSSAI की जांच में मिले कैंसर पैदा करने वाले तत्व
फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) ने हाल ही में कर्नाटक राज्य भर से लिए गए पानीपूरी के सैंपल लगभग 22% नमूने में कैंसर पैदा करने वाले तत्व पाए हैं.
Golgappe causing cancer: फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) द्वारा करवाए गए हालिया इंस्पेक्शन में पाया गया है कि कर्नाटक राज्य भर से लिए गए पानीपूरी (गोलगप्पे) के लगभग 22% नमूने सुरक्षा मानकों पर खरे नहीं उतरे. यह घटना कुछ ही दिनों पहले फूड सेफ्टी ऑफिसर द्वारा कबाब, गोभी मंचूरियन और बंगाल की मिठाई में ऑर्टिफिशियल रंगों के इस्तेमाल पर बैन लगाने के कुछ दिनों बाद सामने आई है.
हाल ही में, FSSAI ने पानी पूरी के ठेलों और कुछ प्रसिद्ध भोजनालयों का भी टेस्ट किया. डेक्कन हेराल्ड की रिपोर्ट के अनुसार, कर्नाटक में 79 जगहों से पानीपूरी के सैंपल लिए गए. इनमें से 41 सैंपल असुरक्षित पाए गए क्योंकि इनमें ऑर्टिफिशियल रंग और यहां तक कि कैंसर पैदा करने वाले तत्व भी पाए गए. वहीं 18 अन्य सैंपल खराब क्वालिटी वाले और सेवन के लिए अनुचित माने गए. विभाग के अधिकारियों द्वारा लिए गए नमूनों में ब्रिलियंट ब्लू, सनसेट यलो और टार्टराजीन जैसे केमिकल पाए गए.
क्या बोले फूड सेफ्टी कमिश्नर?
फूड सेफ्टी कमिश्नर श्रीनिवास के ने बताया कि FSSAI को कई शिकायतें मिलने के बाद पानी पूरी की क्वालिटी का टेस्ट करने का निर्णय लिया गया. श्रीनिवास ने कहा कि चूंकि पानी पूरी एक लोकप्रिय चाट है, इसलिए उन्हें इसकी क्वालिटी के बारे में कई शिकायतें मिलीं. कर्नाटक भर में सभी तरह के आउटलेट, सड़क किनारे के भोजनालयों से लेकर प्रसिद्ध रेस्तरां तक, सभी से सैंपल लिए गए.
टेस्ट के नतीजे
टेस्ट के नतीजों से पता चला है कि सैंपलों की एक बड़ी संख्या खाने के लिए उपयुक्त नहीं थी. फूड सेफ्टी कमिश्नर ने यह भी बताया कि अधिकारी वर्तमान में इन केमिकल के प्रभाव को बेहतर ढंग से समझने के लिए परिणामों का विश्लेषण कर रहे हैं. उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि FSSAI छोटे भोजनालयों पर सुरक्षा मानकों को लागू करेगा और उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करेगा.
दिल की बीमारी का भी खतरा
एचसीजी कैंसर सेंटर में सेंटर फॉर एकेडमिक रिसर्च के डीन डॉ. विशाल राव ने बताया कि इन ऑर्टिफिशियल रंगों से पेट खराब होने से लेकर दिल की बीमारी तक कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं. कुछ तो ऑटोइम्यून बीमारियों या यहां तक कि किडनी फेलियर का कारण भी बन सकते हैं. इनका उपयोग रोके जाने की बहुत आवश्यकता है क्योंकि इनका खाने के सिवाय और कोई मूल्य नहीं है, सिर्फ खाने को आकर्षक बनाना है."
इससे पहले, FSSAI ने कर्नाटक में 200 से अधिक बस स्टैंडों पर 700 से अधिक दुकानों को टारगेट कर इंस्पेक्शन किया था. ये दुकानें या तो एक्सपायर्ड प्रोडक्ट बेच रही थीं या FSSAI लाइसेंस के बिना चल रही थीं. द न्यू इंडियन एक्सप्रेस को एक वरिष्ठ FSSAI अधिकारी ने बताया कि इंस्पेक्शन के दौरान, उन्हें कोलार जिले के मालूर बस स्टैंड पर एक आउटलेट मिला, जो केवल एक्सपायर्ड चीजें बेच रहा था, जिसमें चिप्स, कोल्ड ड्रिंक, जूस, स्नैक्स और बिस्कुट शामिल थे. FSSAI ने फिलहाल दुकान को बंद कर दिया है.