जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, हमारे शरीर की कार्यक्षमता में स्वाभाविक रूप से बदलाव आता है और इस दौरान सेहत का ख्याल रखना बेहद जरूरी हो जाता है. वरिष्ठ नागरिकों के लिए रेगुलर हेल्थ टेस्ट करवाना न केवल जरूरी है, बल्कि इससे कई गंभीर बीमारियों का शुरुआती चरण में ही पता लगाया जा सकता है, जिससे समय पर इलाज संभव हो सके. उम्र के साथ कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं, जैसे दिल की बीमारी, डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल और हड्डियों की कमजोरी का खतरा बढ़ जाता है.


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इसलिए यह जानना बेहद महत्वपूर्ण है कि कौन-कौन से हेल्थ टेस्ट बुजुर्गों के लिए अनिवार्य होते हैं. न्यूबर्ग अजय शाह लैबोरेट्री के मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ. अजय शाह ने कुछ महत्वपूर्ण हेल्थ टेस्ट बताए हैं, जो हर वरिष्ठ नागरिक को जरूर करवाना चाहिए. ये टेस्ट न सिर्फ शारीरिक सेहत के बारे में जानकारी देते हैं, बल्कि मानसिक सेहत पर भी ध्यान देते हैं, ताकि जीवन के इस महत्वपूर्ण चरण को स्वस्थ और खुशहाल तरीके से जिया जा सके.


1. ब्लड प्रेशर मॉनिटरिंग
उच्च प्रेशर या हाइपरटेंशन, एक खामोश खतरा है, जो दिल की बीमारियों, स्ट्रोक और किडनी की समस्याओं का कारण बन सकता है. रेगुलर बीपी की जांच कराने से इस स्थिति का जल्दी पता चल सकता है और इसको कंट्रोल किया जा सकता है. बुजुर्गों को डॉक्टर की सलाह के अनुसार अपना ब्लड प्रेशर नियमित रूप से मापते रहना चाहिए.


2. कोलेस्ट्रॉल टेस्ट
लिपिड प्रोफाइल टेस्ट के जरिए खून में कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स के लेवल की माप की जाती है. हाई कोलेस्ट्रॉल लेवल दिल की बीमारी और स्ट्रोक के खतरे को बढ़ा सकता है. बुजुर्गों को डॉक्टर की सलाह के अनुसार नियमित रूप से कोलेस्ट्रॉल की जांच करानी चाहिए.


3. ब्लड शुगर टेस्ट
वरिष्ठ नागरिकों में टाइप 2 डायबिटीज का खतरा ज्यादा होता है और अनियंत्रित ब्लड शुगर लेवल दिल की बीमारियों, नसों को नुकसान और दृष्टि हानि जैसी समस्याओं को जन्म दे सकता है. फास्टिंग ब्लड शुगर या HbA1c टेस्ट शुगर के लेवल की जांच करने और डायबिटीज को कंट्रोल करने में मदद करता है.


4. बोन डेंसिटी टेस्ट
ऑस्टियोपोरोसिस, एक ऐसी स्थिति है जिसमें हड्डियां कमजोर और भंगुर हो जाती हैं. बोन डेंसिटी टेस्ट हड्डियों की ताकत को मापता है और फ्रैक्चर के खतरे का आकलन करता है. बुजुर्गों, विशेष रूप से 65 से अधिक आयु की महिलाओं को हर दो साल में यह टेस्ट कराना चाहिए.


5. कैंसर स्क्रीनिंग
कैंसर की जांच से जल्दी पता चलने पर इसका इलाज करना आसान हो जाता है. बुजुर्गों को ब्रेस्ट कैंसर के लिए मैमोग्राम, कोलोरेक्टल कैंसर के लिए कोलोनोस्कोपी और प्रोस्टेट कैंसर के लिए PSA टेस्ट जैसी जांचें करानी चाहिए.


6. दृष्टि और सुनने की जांच
उम्र के साथ दृष्टि और सुनने की क्षमता कम हो सकती है. नियमित आई टेस्ट से मोतियाबिंद, ग्लूकोमा और मैक्यूलर डिजेनेरेशन जैसी समस्याओं का पता लगाया जा सकता है, जबकि सुनने की जांच से सुनने की क्षमता में कमी का पता चलता है.


7. थायराइड फंक्शन टेस्ट
थायराइड विकार थकान, वजन बढ़ने और मूड में बदलाव का कारण बन सकते हैं. एक साधारण ब्लड टेस्ट के जरिए थायराइड हार्मोन लेवल की जांच कराई जा सकती है.


Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.