अक्सर देर रात तक काम करने वाले या पढ़ाई करने वाले लोग देर रात तक कमरे की रोशनी जलाकर रखते हैं. यह आदत भले ही आम लगती हो, लेकिन एक नए अध्ययन के अनुसार, रात में रोशनी में सोना आपकी सेहत के लिए खतरनाक हो सकता है, खासकर टाइप 2 डायबिटीज के विकास के खतरे को बढ़ा सकता है. हाल ही में जून 2024 में प्रकाशित एक अध्ययन ने इस बात का खुलासा किया है कि रात में कैसे सोना आपके डायबिटीज के खतरे को प्रभावित कर सकता है.


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ऑस्ट्रेलिया में फ्लिंडर्स यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए इस अध्ययन को द लैंसेट रिजनल हेल्थ-यूरोप जर्नल में प्रकाशित किया गया था. अध्ययन के मुख्य लेखक और यूनिवर्सिटी के कॉलेज ऑफ मेडिसिन एंड पब्लिक हेल्थ के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. एंड्रयू फिलिप्स ने एक प्रेस रिलीज में कहा कि हमने पाया कि रात में तेज रोशनी के संपर्क में रहने से टाइप 2 डायबिटीज विकसित होने का खतरा अधिक होता है.


डॉ. एंड्रयू फिलिप्स ने आगे कहा कि रात में प्रकाश के संपर्क में आने से हमारी सर्काडियन रिदम बाधित हो सकती है, जिससे इंसुलिन सेक्रेशन और ग्लूकोज मेटाबॉलिज्म में बदलाव आ सकता है. यह बदलाव शरीर के ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने की क्षमता को प्रभावित करते हैं, जिससे अंततः टाइप 2 डायबिटीज विकसित हो सकता है.


अध्ययन कैसे हुआ?
यह पता लगाने के लिए कि रात 12:30 बजे से सुबह 6 बजे के बीच रोशनी के संपर्क में रहने से प्रतिभागियों में डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है, शोधकर्ताओं ने लगभग 85 हजार लोगों की जानकारी और 1.3 करोड़ घंटे के लाइट सेंसर डेटा का विश्लेषण किया. अध्ययन शुरू होने पर इन प्रतिभागियों को टाइप 2 डायबिटीज नहीं था. शोधकर्ताओं ने इन प्रतिभागियों पर नजर रखी कि कौन इस बीमारी से ग्रस्त होता है, यह मॉनिटरिंग लगभग नौ साल तक चली. यह अब तक का इस तरह का सबसे बड़ा अध्ययन माना जा रहा है.


एक्सपर्ट की राय
एसोसिएट प्रोफेसर फिलिप्स ने कहा कि परिणामों से पता चला है कि रात में तेज रोशनी के संपर्क में रहने से डायबिटीज विकसित होने का खतरा अधिक होता है और लाइट के संपर्क और खतरों के बीच खुराक पर निर्भर संबंध पाया गया है. हमारे अध्ययन के नतीजे बताते हैं कि रात में रोशनी के संपर्क को कम करना और सोने के वातावरण को अंधेरे में रखना डायबिटीज को रोकने या देरी से रोकने का एक आसान और सस्ता तरीका हो सकता है.