Heart attack in gym: आधुनिक युग में लोगों की चाहत होती है कि वे फिट और स्वस्थ दिखें, इसलिए वे जिम में घंटों मेहनत करते हैं. हालांकि, कुछ लोग जिम में कसरत करते समय कुछ गलतियां करते हैं, जो उनकी जान को खतरे में डाल सकती है. बिना वॉर्म-अप के हैवी वेट्स एक्सरसाइज करना लोगों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है.


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आजकल की युवा पीढ़ी जल्दी बॉडी बनाने में गलतियां कर देती हैं, जिससे उनकी जान भी जोखिम में पड़ सकती है. अब लोग ट्रेडमिल, क्रॉस-ट्रेनर या साइकिल पर इंतजार नहीं करते, वे सीधे वेट्स और मशीन सेक्शन पर ध्यान केंद्रित करते हैं. हालांकि, क्या यह रूटीन खतरे से भरा है? हम डॉक्टर से इसकी जानकारी प्राप्त करते हैं.


क्या कहते हैं एक्सपर्ट
पद्मश्री डॉ. बलबीर सिंह के मुताबिक, वेट ट्रेनिंग के लाभ में मांसपेशियों की ताकत बढ़ना, हड्डियों की डेंसिटी में वृद्धि, दुबली मसल्स का विकास और मोटापा कम, इंसुलिन सेंसिटिविटी में वृद्धि और सहनशक्ति में वृद्धि शामिल होती है. यह गतिविधियों को आसानी से पूरा करने में मदद करता है. हम सभी जानते हैं कि वेट ट्रेनिंग के फायदों के अलावा, इसके अत्यधिक प्रयास से भी कुछ नकारात्मक पहलू हो सकते हैं. उन्होंने बताया कि बहुत अधिक वजन उठाने से जोड़ों और मांसपेशियों को नुकसान पहुंच सकता है. इसके साथ ही, रीढ़ की हड्डी के चोट (जैसे हर्नियेटेड डिस्क) भी हो सकते हैं. भारी सामान उठाने से कभी-कभी दिल की धमनी भी फट सकती है, जो जानलेवा साबित हो सकता है. दिल के मरीजों को सतर्क रहना चाहिए और अपने कार्डियोलॉजिस्ट के मार्गदर्शन में वर्कआउट करना चाहिए.


जिम में एक्सरसाइज करते वक्त इन बातों का रखें ध्यान


  • जरूरत से ज्यादा वेट ट्रेनिंग एक्सरसाइज ना करें.

  • मध्यम से धीमी नियंत्रित गति से वेट्स उठाएं.

  • गति की पूरी रेंज के माध्यम से लिफ्ट करें.

  • अपनी सांस को ना रोकें. इसके बजाय, लिफ्ट के संकुचन (परिश्रम) चरण के दौरान श्वास छोड़ें और विश्राम चरण के दौरान श्वास लें.

  • बारी-बारी से अपर बॉडी और लोअर बॉडी से लिफ्ट करें.

  • स्वस्थ लोगों अपनी वेट ट्रेनिंग की शुरुआत 8 से 12 रेपेटिशन से करें. वहीं, वृद्ध या कमजोर व्यक्तियों को अधिक हल्के वजन का उपयोग करना चाहिए और हर सेट में 10-15 रेपेटिशन करना चाहिए.

  • सप्ताह में दो दिन, एक सेट से शुरुआत करें.

  • वर्कआउट रूटीन में ये एक्सरसाइज शामिल कर सकते हैं- चेस्ट प्रेस, शोल्डर प्रेस, ट्राइसेप्स एक्सटेंशन, बाइसेप्स कर्ल, पुल-डाउन, लोअर-बैक एक्सटेंशन, एब्डॉमिनल क्रंच / कर्ल-अप, लेग प्रेस, लेग कर्ल और काफ रेज.