पीठ में अक्सर रहता है दर्द तो कम कर दें बैठना, एक्सपर्ट बता रहे चौंकाने वाले कारण
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पीठ में दर्द होने के कुछ मुख्य कारण मस्लस में खिंचाव, डिस्क डैमेज, कुछ स्वास्थ्य समस्याएं जैसे- स्कोलियोसिस और ऑस्टियोपोरोसिस शामिल हैं.
आजकल जिस तरह लोगों की लाइफस्टाइल बदल रही है, ऐसे में पीठ दर्द बहुत ही आम समस्या बन गई है. पीठ में दर्द होने के कुछ मुख्य कारण मस्लस में खिंचाव, डिस्क डैमेज, कुछ स्वास्थ्य समस्याएं जैसे- स्कोलियोसिस और ऑस्टियोपोरोसिस शामिल हैं. हालांकि, एक नए अध्ययन में पीठ दर्द को बढ़ने से कैसे रोका जा सकता है इसे लेकर खुलासा हुआ है. अध्ययन में सुझाव दिया गया है कि पीठ दर्द को बढ़ने से रोकने के लिए हर रोज बैठने का समय कम करें और व्यायाम करें.
फिनलैंड के तुर्कू यूनिवर्सिटी के डॉक्टरेट शोधकर्ता और फिजियोथेरेपिस्ट जोआ नोरहा ने कहा कि पीठ की सेहत के बारे में चिंतित लोगों को काम पर या खाली समय में बैठना कम करना चाहिए. एक्टिविटी और पीठ दर्द के बीच संबंध और पीठ दर्द से संबंधित तंत्र को समझने के लिए शोधकर्ताओं ने ज्यादा वजन या मोटापे और मेटाबोलिक सिंड्रोम से ग्रस्त 64 वयस्कों को शामिल किया. 6 महीने के अध्ययन के दौरान प्रतिभागियों ने औसतन प्रतिदिन 40 मिनट तक बैठने का समय कम कर दिया.
पीठ की मसल्स में जमा हो जाता है फैट
पीठ दर्द से पीड़ित लोगों में अक्सर पीठ की मसल्स में ज्यादा फैट जमा हो जाती है. उनमें ग्लूकोज मेटाबॉलिज्म या इंसुलिन सेंसिटिविटी में कमी होने की भी संभावना होती है, जिससे उन्हें दर्द होने की संभावना ज्यादा होती है. हालांकि, अध्ययन में पीठ की मसलस की चर्बी या ग्लूकोज मेटाबॉलिज्म के बीच कोई संबंध नहीं मिला. इसके अलावा, शोधकर्ताओं ने कहा कि ज्यादा वजन या मोटापे और मेटाबोलिक सिंड्रोम से न केवल पीठ दर्द का खतरा बढ़ता है, बल्कि दिल की बीमारी का भी खतरा बढ़ जाता है.
एक्सपर्ट का क्या कहना
फिजियोथेरेपिस्ट जोआ नोरहा ने कहा कि केवल खड़े रहना भी मददगार नहीं हो सकता. इसके बजाय चलना या अधिक तेज व्यायाम ज्यादा फायदेमंद हो सकता है. शोधकर्ताओं का कहना है कि सही पोज की तलाश करने की तुलना में कई पोज के बीच बदलाव करना ज्यादा महत्वपूर्ण है. लैंसेट रूमेटोलॉजी पत्रिका में प्रकाशित हालिया विश्लेषण के अनुसार, 2050 तक 80 करोड़ से अधिक लोग पीठ के निचले हिस्से में दर्द से पीड़ित होंगे, जो 2020 की तुलना में 36 प्रतिशत की वृद्धि है. अध्ययन से पता चला है कि 2017 से कमर दर्द के मामले तेजी से बढ़े हैं और यह संख्या आधे अरब से ज्यादा हो गई है. साल 2020 में कमर दर्द के लगभग 61.9 करोड़ मामले थे.