ट्यूबरक्लोसिस (टीबी) एक गंभीर संक्रामक बीमारी है, जो आमतौर पर खांसी से फैलती है. लेकिन हालिया शोध में एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है. अध्ययन के अनुसार, 80% से अधिक टीबी मरीजों में लगातार खांसी का लक्षण नहीं थे, जिससे यह संभावना है कि यह बीमारी सांस लेने से भी फैल सकती है.


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नीदरलैंड के एम्सटर्डम यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर के वैज्ञानिकों ने अफ्रीका और एशिया के 6 लाख से ज्यादा लोगों पर अध्ययन किया, जिसमें उन्होंने पाया कि 62 प्रतिशत मरीजों में बिल्कुल भी खांसी नहीं थी और 20 प्रतिशत में केवल दो हफ्ते से कम समय तक खांसी थी. शोध के निष्कर्ष पीएनएएस में प्रकाशित हुए हैं.


ऐसे किया अध्ययन
शोधकर्ताओं ने सबक्लिनिकल पल्मोनरी टीबी का पता लगाने के लिए डाटा को तीन चरणों- दो हफ्ते या अधिक के लिए लगातार खांसी नहीं, बिल्कुल भी खांसी नहीं और कोई लक्षण नहीं में में बांट दिया. कुल 6,02,863 प्रतिभागियों को इस अध्ययन में शामिल किया गया. इन्हें तीन समूहों में बांटा गया और तब इसका विश्लेषण किया गया. अध्ययन के दौरान 82.8% फीसदी को लगातार खांसी नहीं थी. इस तरह के मरीजों में बीमारी की पहचान और उपचार करना कठिन था.


महिलाओं और युवाओं में ज्यादा खतरा
डब्ल्यूएचओ के अनुसार, वर्ष 2022 में टीबी के कारण 13 लाख लोगों की जान चली गई. वहीं कोरोना महामारी के बाद यह बीमारी मौत का दूसरा प्रमुख कारण बनी. अध्ययन में महिलाओं, युवाओं और शहरी निवासियों में खांसी न होने वाली टीबी का अनुपात अधिक पाया गया. डब्ल्यूएचओ ने बताया कि भारत में टीबी मरीजों की पहचान समय पर हो रही है, जिससे डायग्नोस भी तेजी से हो रहा है.


भारत में टीबी का बोझ
डब्ल्यूएचओ के अनुसार, 2022 में टीबी के 27% मामले भारत में सामने आए थे. यानी दुनिया में मिलने वाला हर चौथा टीबी मरीज भारतीय था. रिपोर्ट में कहा गया कि भारत में 28.2 लाख लोग टीबी से पीड़ित हुए. हालांकि, सरकार की चिकित्सीय सेवाओं में वृद्धि के कारण मौत का आंकड़ा 2021 के अनुपात कम हो गया. 2021 में 4.94 लाख मौत हुई, 2022 में 3.31 लाख पर आ गया.