Tuberculosis Transmission: कई सालों से दुनिया टीबी यानी ट्यूबरकुलोसिस की मार झेल रही है. कोरोना वायरस के बाद यह दुनिया की सबसे बड़ी संक्रामक बीमारी है. डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, 2020 में करीब 15 लाख लोगों ने टीबी से जान गंवाई है और पिछले दशक में पहली बार इस आंकड़े में बढ़ोतरी देखी गई है. इसी क्रम में दक्षिण अफ्रीकी शोधकर्ताओं ने खुलासा किया कि ट्यूबरकुलोसिस इंफेक्शन फैलने के पीछे खांसी से ज्यादा जिम्मेदार सांस लेना हो सकता है.


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शोधकर्ताओं का क्या कहना है?
एक अंग्रेजी रिपोर्ट के मुताबिक, मंगलवार को ऑनलाइन साइंटिफिक कॉन्फ्रेंस में शोध के निष्कर्षों को जारी किया गया. शोधकर्ताओं का अनुमान है कि टीबी के करीब 90 प्रतिशत बैक्टीरिया संक्रमित व्यक्ति के गहरी सांस लेने के दौरान छोटी ड्रॉप्लेट्स के माध्यम से निकलता है. इन ड्रॉप्लेट्स को एरोसोल्स (Aerosols) कहा जाता है. यह खोज कोविड महामारी पर हुए एक महत्वपूर्ण शोध से जुड़ी है. जिसमें बताया गया था कि, कोरोना वायरस भी खासतौर से, बंद जगहों (इंडोर स्पेस) पर एरोसोल्स के जरिए तेजी से फैलता है. आपको बता दें कि, टीबी की बीमारी Mycobacterium Tuberculosis नामक बैक्टीरिया के जरिए फैलती है, जो आमतौर पर फेफड़ों पर हमला करता है.


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कोरोना की तरह टीबी को रोकने में यह तरीका आ सकता है काम
डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, साल 2020 में करीब 58 लाख लोगों में टीबी की पुष्टि की गई है. लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन का मानना है कि यह आंकड़ा असल में 1 करोड़ के आसपास हो सकता है और कुछ लोग बिना जाने ये बीमारी अन्य लोगों तक फैला रहे होंगे. इस बारे में शोध सुझाव देती है कि कोरोना की तरह टीबी को बंद जगहों में फैलने से रोकने के लिए मास्क, दरवाजे या खिड़कियों का खुला रखना आदि महत्वपूर्ण तरीके साबित हो सकते हैं.


शोधकर्ताओं ने टीबी फैलने के पिछले तरीके को नहीं किया खारिज
शोधकर्ताओं ने टीबी फैलने के पिछले तरीके को खारिज नहीं किया है. पहले से मौजूद तरीके में बताया गया था कि टीबी के बैक्टीरिया खांसने पर सबसे ज्यादा फैलते हैं. अध्ययन के रिजल्ट प्रस्तुत करने वाले Ryan Dinkele का कहना है कि, अधिकतर टीबी ट्रांसमिशन संक्रमित व्यक्ति के खांसने पर होता है. क्योंकि इस दौरान संक्रमित ड्रॉप्लेट्स हवा में फैल जाती हैं और एक बार सांस लेने पर एक बार खांसने के मुकाबले कम ड्रॉप्लेट्स निकलती हैं. लेकिन, एक व्यक्ति दिन में खांसने से कम से कम चार गुना ज्यादा बार सांस लेता है. इसलिए, किसी बंद जगह पर संक्रमित व्यक्ति के खांसने से ज्यादा सांस लेने पर संक्रमण फैल सकता है.


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कोरोना और टीबी में ये भी है समानता
ब्राउन यूनिवर्सिटी में ट्यूबरकुलोसिस के बारे में स्टडी करने वाले Dr. Silvia S. Chiang के मुताबिक, कोरोना की तरह टीबी से संक्रमित कुछ मरीजों से भी ज्यादा बैक्टीरिया निकल सकता है और वह ज्यादा संक्रामक हो सकते हैं. वहीं, कुछ लोगों से कम बैक्टीरिया निकल सकता है और वह कम लोगों को संक्रमित कर सकते हैं. एक्सपर्ट कहते हैं कि, बेशक एरोसोल्स के जरिए 90 प्रतिशत बैक्टीरिया निकलते हैं. लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि 90 प्रतिशत मामले इसी तरीके से विकसित हुए हों.


यहां दी गई जानकारी किसी भी चिकित्सीय सलाह का विकल्प नहीं है. यह सिर्फ शिक्षित करने के उद्देश्य से दी जा रही है.