नई दिल्ली : अब छोटे शहर, गांव, जिले और कस्बों में भी कैंसर जैसी बीमारी का इलाज हो सकेगा. जी हां सरकार जिलों के अस्पतालों में भी इन बीमारियों के इलाज की सुविधा लेकर आ रही है. दरअसल, नॉन कम्यूनिकेबल डीसिज (गैर-संक्रामक रोग) इनमें दिल की बीमारी, डायबिटीज और कैंसर शामिल है. इन बीमारियों के कारण ही भारत में सबसे ज्यादा लोग मौत के शिकार होते हैं. इसी भयावहता को देखते हुए सरकार ने पीपीपी मॉडल के अंतर्गत एक गाइडलाइन जारी की है. इस गाइडलाइन के आधार पर जिलों के अस्पतालों में प्राइवेट अस्पतालों की मदद से इन बीमारियों का इलाज हो सकता है.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

61 फीसदी मौत का कारण एनसीडी
नीति आयोग के सदस्य वीके पॉल ने बताया कि पीपीपी मॉडल में इलाज की लागत आयुष्मान भारत के योजना के तहत आने वाली लागत के बराबर होगी. उन्होंने बताया, हम सप्लाई साइड को और भी मजबूत करने के लिए ऐसा मॉडल लेकर आ रहे हैं. WHO की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 61 फीसदी मौतें एनसीडी से होती है. इस बात से हम वाकिफ हैं और इसलिए इन बीमारियों की रोकथाम के लिए हम जिला अस्पतालों में तैयारियां कर रहे हैं.


ये हैं गाइडलाइंस
इस गाइडलाइन के अनुसार इस सेवा को मुहैया कराने में केंद्र और राज्य सरकार दोनों की भूमिका 50:50 होगी. फाइनेंस भी इसी आधार पर होगा.



सरकारी और प्राइवेट अस्पताल शामिल होंगे
सरकारी और प्राइवेट दोनों अस्पताल इसमें शामिल होंगे. ये एक रेवीन्यू मॉडल होगा. प्राइवेट अस्पताल इसके लिए बोली लगाएंगे. मतलब उनका जितना खर्चा आएगा वे सरकार को बताएंगे, जिसका खर्चा सबसे कम होगा उसे पहला प्रोजेक्ट मिल जाएगा. जिले में जो अस्पताल पहले से हैं उन्हें सुधारा और बड़ा किया जाएगा, जरूरत हुई तो वहां नए अस्पताल भी बनाए जाएंगे.


अस्पतालों को गाइडलाइन भेजी गई
सरकार जगह देगी और प्राइवेट अस्पताल बेड और बाकी उपकरण और सेवा देंगे. जो लोग आयुष्मान भारत के अंतर्गत आते हैं उन्हें इसका लाभ मिलेगा. आयुष्मान भारत स्कीम में जो रेट है वही इसके लिए भी लागू होगी. राज्य सरकार और प्राइवेट अस्पतालों को ये गाइडलाइन भेज दी गई है. जल्द ही इस मॉडल पर काम शुरू हो जाएगा.


सरकार की इस योजना से लगता है स्वास्थ्य क्षेत्र में सरकारी अस्पताल अपनी भूमिका निभाने में पीछे होते जा रहे हैं इसलिए सरकार भी अब प्राइवेट प्लेयर्स को जगह दे रही है. आज ये बात और साफ हो गई जब नीति आयोग ने एनसीडी (नॉन कम्युनिकेबल डीसिज) के रोकथाम के लिए पीपीपी मॉडल पर गाइडलाइंस जारी की. आयुष्मान भारत में भी प्राइवेट अस्पतालों की भूमिका अहम है और अब इस तरह की बीमारियों की रोकथाम के लिए भी सरकार को प्राइवेट अस्पतालों का सहारा लेना पड़ रहा है. ये प्रोजेक्ट बीडिंग यानी निलामी के आधार पर होगा.