एचआईवी यानी ह्यूमन इम्युनोडेफिशियंसी वायरस (HIV or Human immunodeficiency virus) के कारण दुनियाभर में करीब 37.7 मिलियन लोग संक्रमित हैं. डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, यह आंकडा साल 2020 के अंत तक का है. एचआईवी इंफेक्शन का अभी तक कोई पुख्ता इलाज (HIV Treatment) नहीं है. इसलिए, इससे बचाव (HIV precautions) और मैनेज करने के तरीकों के बारे में जानना बहुत ज्यादा जरूरी है.


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क्या आप जानते हैं कि एचआईवी से संक्रमित होने के कितने दिन बाद कोई टेस्ट (HIV test) इस वायरस को पकड़ पाता है. इसके अलावा, भारत में एचआईवी की जांच करवाने के लिए कितने टेस्ट (types of HIV test) उपलब्ध हैं. आइए एचआईवी के बारे में ये सभी जानकारी जानते हैं.


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एचआईवी टेस्ट क्यों जरूरी है? (HIV test importance)
एचआईवी टेस्ट इसलिए जरूरी है, क्योंकि इसके बिना एचआईवी संक्रमण के बारे में पता लगाने के लिए देरी हो सकती है. क्योंकि, एचआईवी इंफेक्शन के लक्षण काफी देर बाद दिखने शुरू होते हैं. इसलिए आपको डॉक्टर की सलाह पर नियमित एचआईवी टेस्ट करवाना चाहिए. वहीं, अगर आपको संशय है कि आप एचआईवी वायरस के संपर्क में आए हैं या नहीं, तो भी विंडो पीरियड (window period of HIV test) के बाद एचआईवी टेस्ट करवा लेना चाहिए.


Types of HIV test : कितने दिन बाद टेस्ट पकड़ पाता है इंफेक्शन?
एचआईवी टेस्ट कितने हैं और संक्रमित होने के कितने दिन बाद टेस्ट इस वायरस को पकड़ पाता है, ये जानकारी नीचे मौजूद है.


बच्चों के लिए एचआईवी टेस्ट
डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, 18 महीने से कम उम्र के बच्चों के लिए सीरोलॉजिकल टेस्टिंग काफी नहीं है. बल्कि मां से एचआईवी इंफेक्शन का पता लगाने के लिए जन्म के जल्द से जल्द या 6 हफ्ते की उम्र तक वायरोलॉजिकल टेस्टिंग करवा लेनी चाहिए.


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सीरोलॉजिकल टेस्ट
NACO.GOV.IN के मुताबिक एचआईवी की जांच के लिए सीरोलॉजिकल टेस्ट का इस्तेमाल करना सबसे आम है. यह एक प्रकार है, जिसके अंतर्गत शरीर में मौजूद एंटीबॉडी की जांच की जाती है. जो कि इम्यून सिस्टम द्वारा एचआईवी वायरस से लड़ने के लिए उत्पादित की जाती है. इस प्रकार में रैपिड टेस्ट (Rapid/Antigen Test), वैस्टर्न ब्लॉट टेस्ट (Western Blot) और ELISAs (Enzyme linked immunosorbent assays) शामिल होते हैं. आमतौर पर ये टेस्ट एचआईवी से संक्रमित होने के 10 से 90 दिनों के बाद संक्रमण का पता लगा पाते हैं.


NAAT टेस्ट
एचआईवी वायरस का पता लगाने के लिए यह एक संवेदनशील टेस्ट है, जो polymerase chain reactions (PCRs) का इस्तेमाल करता है. यह काफी जल्द और पुख्ता रिजल्ट पाने के लिए किया जाता है. यह वायरस की विंडो पीरियड में भी रिजल्ट प्रदान कर सकता है. इस टेस्ट को करवाने के लिए सीडीसी के मुताबिक, एक्सपोजर के 10 से 33 दिन बाद का समय बिल्कुल ठीक है.


यहां दी गई जानकारी किसी भी चिकित्सीय सलाह का विकल्प नहीं है. यह सिर्फ शिक्षित करने के उद्देश्य से दी जा रही है.