Side effects of sitting too long: आज के दौर में काम करने के पैटर्न में काफी बदलाव आया है. ज्यादातर क्षेत्रों में काम करने के तरीके डिजिटल रूप ले चुकी है. ऐसे में घर से ही काम करने की सहूलियत होने पर देर तक बैठे रहने की गुंजाइश और अधिक बढ़ गई है. शोध और एक्सपर्ट बताते हैं कि शारीरिक रूप से एक्टिव न रहना से बीमारी का सबसे बड़ा कारण बनती जा रही है. हर साल 53 लाख लोगों की मृत्यु इसी कारण हो जाती है.


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लगातार 8-10 घंटे कुर्सी पर बैठे रहने से न सिर्फ मसल्स और हड्डी कमजोर हो रही हैं, बल्कि शरीर के विभिन्न अंगों पर भी बुरा असर पड़ रहा है. लंबे समय तक बिस्तर पर लेटे रहना, दिल के साथ-साथ पाचन रोगों का शिकार बना रहा है. आइए जानते हैं कि लगातार बैठे रहने से कौन सी समस्याएं हो रही हैं.


बवासीर: 5 घंटे से अधिक समय तक लगातार बैठकर काम करते रहने से पाइल्स होने का खतरा बढ़ जाता है. इस कारण पर कम गौर किया जाता है, पर अगर आप लंबे समय तक बैठे रहते हैं, आपकी चलने-फिरने की गतिविधियां कम हैं तो ये बवासीर का कारण बन सकता है.


पीठ दर्द: लंबे समय तक बैठे रहना पीठ दर्द का कारण बन जाता है. इतना ही नहीं, पीठ, गर्दन, हाथ और पैरों का तनाव बढ़ रहा है. खासकर, बैठने की सही व्यवस्था न होना, गलत पॉश्चर, पीठ की मांसपेशियों और रीढ़ की हड्डी की डिस्क पर दबाव डालते हैं. मांसपेशियों में ऐंठन की समस्या हो सकती है. यहां तक कि लंबे समय तक बिना मूवमेंट कंप्यूटर या मोबाइल पर काम करते रहना गर्दन व कंधे के जोड़ों में तेज दर्द का कारण बन जाता है.


डायबिटीज: लंबे समय तक बैठे रहने से शरीर का मेटाबॉलिज्म प्रभावित हो सकता है. इससे इंसुलिन रेजिस्टेंस बढ़ जाती है और टाइप-2 डायबिटीज होने का खतरा कई गुना बढ़ सकता है. 


वजन बढ़ना: व्यायाम से परे रोजमर्रा की गतिविधियां जैसे खड़े होना, चलना, तेजी से चलना, किसी भी रूप में हिलने-डुलने पर कैलोरी की खपत होती है. ऊर्जा की यह खपत गैर व्यायाम गतिविधि या थर्मोजेनेसिस कहलाती है. इसकी कमी से वजन बढ़ने लगता है. इनके अलावा लंबे समय तक बैठने से हाई ब्लड प्रेशर, डिप्रेशन, हाई कोलेस्ट्रॉल लेवल, थायरॉइड, हार्ट डिजीज जैसी बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है.



डेस्क जॉब करते हैं तो इन बातों का रखें ध्यान


बैलेंस डाइट
व्यायाम के अलावा पोषक तत्वों से भरपूर बैलेंस डाइट से वजन काबू रखा जा सकता है. कम फैट वाले प्रोटीन सोर्स, कॉम्प्लेक्स कार्बोहाइड्रेट, हेल्दी फैट (अलसी, ऑलिव ऑयल आदि) मौसमी फल व सब्जियां खाएं. इससे भूखे भी नहीं रहेंगे व अधिक तला-भुना खाने की इच्छा भी कम होगी.


कॉम्प्लेक्स कार्बोहाइड्रेट
ब्राउन चावल, क्विनोआ, साबुत गेहूं जैसे काम्प्लेक्स कार्बोहाइड्रेट स्थायी ऊर्जा प्रदान करते हैं और ब्लड शुगर लेवल तेजी से बढ़ने से रोकते हैं. इससे कुल मिलाकर सेहत बेहतर होती है.


खाने की मात्रा पर नियंत्रण
अधिक खाने से बचने के लिए पोरशन साइज को कंट्रोल करें. हेल्दी फूड भी अधिक मात्रा में खाने पर वजन बढ़ सकता है. मात्रा को कम रखने के लिए छोटे प्लेट और कटोरी का उपयोग करें.


प्रोटीन
टोफू, दालें, कम फैट वाले डेयरी उत्पाद, सीफूड, मछली आदि अधिक प्रोटीन वाली चीजें खाएं. प्रोटीन एनर्जी व ताकत देने के साथ मसल्स को स्वस्थ रखता है. सोडा, फल रस, कॉफी या चाय जैसे मीठे पेय कम लें. ये वजन बढ़ा सकते है.


भोजन का नियमित समय
नियमित समय पर भोजन करें. किसी भी समय का भोजन छोड़े नहीं. इससे बार-बार भूख लगती है. दो भोजन के बीच में स्नैक्स के तौर पर पोषक चीजें लें. काम के दौरान छोटे ब्रेक लें और थोड़ा टहलें.


Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.