नई दिल्ली: लहसुन औषधीय गुणों के तौर पर जाना जाता है. डायबिटीज, कोलेस्ट्रॉल की समस्या, हाई ब्लड प्रेशर और प्रोस्टेट कैंसर के इलाज में भी लहसुन खाने की सिफारिश की जाती है. हालांकि कुछ लोगों को लहसुन के इस्तेमाल से एलर्जी हो सकती है. कई रिपोर्ट से पता चलता है कि लहसुन इस्तेमाल करने के बाद लोगों ने मुंह या पेट में जलन या मतली, उल्टी और डायरिया का अनुभव साझा किया. ये साइड-इफेक्ट्स प्रेगनेंट महिलाओं में ज्यादा आम रहे हैं. 


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प्रेगनेंसी में लहसुन का इस्तेमाल?
हेल्थ एक्सपर्ट्स की मानें तो प्रेग्नेंसी के दौरान स्वस्थ डाइट का पालन बच्चे और महिला दोनों के लिए फायदेमंद हो सकता है. प्रेगनेंट महिलाओं को संपूर्ण स्वस्थ डाइट, सब्जी और फल में अधिक और प्रोसेस्ड मीट्स और रिफाइन्ड कार्बोहाड्रेट्स में कम खाने की जरूरत होती है. इस दौरान सबसे ज्यादा भ्रमित करने वाला एक सवाल होता है कि क्या उन्हें लहसुन खाना चाहिए या नहीं?


क्या कहती हैं डाइट एक्सपर्ट्स?
डाइट एक्सपर्ट्स डॉ. रंजना सिंह कहती हैं कि एक रिपोर्ट के मुताबिक, प्रेग्नेंसी में लहसुन का इस्तेमाल सुरक्षित है, लेकिन प्रेग्नेंसी की पहली तिमाही के दौरान उसे खाना चाहिए, जबकि दूसरी और तीसरी तिमाही में लहसुन की मात्रा को कम करने की सिफारिश की जाती है. 


कितनी मात्रा में खाना चाहिए लहसुन?
डाइट एक्सपर्ट्स डॉ. रंजना सिंह कहती हैं कि एक रिपोर्ट में बताया गया है कि प्रेगनेन्ट महिलाएं लहसुन की 2-4 कलियां खा सकती हैं. अगर जूस के तौर पर उसका इस्तेमाल करना चाहती हैं, तो 600-1200 मिलिग्राम के बराबर मात्रा होना चाहिए, जबकि उन्हें कच्चा लहसुन खाने से परहेज करने की सलाह दी जाती है, क्योंकि इससे नुकसान हो सकता है. कच्चे लहसुन में ब्लड को पतला करने वाले गुण पाए जाते हैं, जो ब्लड प्रेशर को प्रभावित कर सकते हैं. 


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