Pneumonia Symptoms: हर साल 12 नवंबर को विश्व निमोनिया दिवस मानया जाता है. यह बीमारी छोटे बच्चों से लेकर बड़ों तक को अपना शिकार बना सकती है. निमोनिया फेफड़ों में इंफेक्शन की वजह से होता है. इंफेक्शन के कारण फेफड़ों में सूजन होने लगती है. निमोनिया का समय पर इलाज होना बहुत जरूरी होता है, वरना जानलेवा साबित हो सकता है. ये दिवस इसलिए भी मनाया जाता है जिससे लोगों को इस बीमारी के बारे में जागरूक किया जा सके. शहर के अलग- अलग हिस्सों में कैंप लगाकर इससे बचने के उपाय बताए जाते हैं. आज हम इस आर्टिकल के जरिए जानेंगे निमोनिया के लक्षण और कारणों के बारे में...


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ऐसे पहचानें निमोनिया के लक्षण-


अक्सर निमोनिया होने पर लोगों को लक्षण समझ नहीं आते. इसमें अधिकतर लोगों को खांसी की समस्या होती है, जिससे फेफड़े प्रभावित होते हैं. सीने में दर्द, सांस लेने में समस्या, तेज बुखार आना आदि इस बीमारी के मुख्य लक्षण हैं.


- सांस लेने, खांसने पर सीने में दर्द होना.
- 50 से अधिक उम्र के लोगों में कंफ्यूजन हो सकता है.
- खांसी में बलगम होना.
- थकावट लगना.
- बुखार, पसीना आना और कंपकंपी लगना.
- शरीर का तापमान सामान्य से भी कम होना.
- उल्टी, मतली या फिर दस्त आना.


निमोनिया के कारण-


निमोनिया का सबसे आम कारण होता है बैक्टीरिया. इस तरह का निमोनिया सर्दी या फ्लू के बाद होने की संभावना अधिक होती है. यह फेफड़ों के एक हिस्से को प्रभावित कर सकता है, जिसे लोबर निमोनिया कहा जाता है. वहीं दूसरा कारण है बैक्टीरिया जैसे जीव. ये अन्य निमोनिया की तुलना में हल्के लक्षण पैदा करता है. ये ज्यादा गंभीर नहीं होता, इसलिए इसे वॉकिंग निमोनिया भी कहते हैं. निमोनिया होने का तीसरा कारण है फंगस. जिन लोगों का इम्यून सिस्टम कमजोर होता है, या फिर जो पहले से किसी गंभीर बीमारी से ग्रस्त हों, उनमें इस तरह का निमोनिया होने की संभावना ज्यादा होती है. यह फंगस मिट्टी, पक्षियों का मल और आप किस जगह रह रहे हैं वहां हो सकता है.


बच्चों को निमोनिया से ऐसे बचाएं-
निमोनिया अधिकतर बच्चों को अपना शिकार बनाता है. इससे बचने के लिए सबसे बेस्ट उपया है टीकाकरण. न्यूमोकॉकल वैक्सीन, पीसीवी 13, हिमोफिलस इन्फ्लूएंजा टाइप बी, यह वैक्सीन आपको बैक्टेरियल निमोनिया से बचा सकती हैं. साथ ही आप इससे बचाव के लिए साबुन या हैंडवॉश से नियमित रूप से कई बार हाथों को धोते रहें. निमोनिया संक्रमित लोगों की ड्रॉपलेट से फैलता है. इसलिए आप ऐसे लोगों से फेस टू फेस संपर्क करने से बचें. खांसते और छींकते समय मुंह को ढंक लें.


Disclaimer: इस जानकारी की सटीकता, समयबद्धता और वास्तविकता सुनिश्चित करने का हर सम्भव प्रयास किया गया है. हालांकि इसकी नैतिक जिम्मेदारी ज़ी न्यूज़ हिन्दी की नहीं है. हमारा आपसे विनम्र निवेदन है कि किसी भी उपाय को आजमाने से पहले अपने चिकित्सक से अवश्य संपर्क करें. हमारा उद्देश्य आपको जानकारी मुहैया कराना मात्र है.