कोरोना वैक्सीन की उम्मीद बढ़ी, WHO की दो स्टडी रिपोर्ट में हुआ ये बड़ा खुलासा
रिपोर्ट में डॉक्डर रयान ने कहा कि कोरोना वैक्सीन के परीक्षण के दौरान सैकड़ों कोरोना संक्रमितों को टीके लगाए गए. टीके लगने के बाद उन सभी में कोरोना वायरस के खिलाफ मजबूत प्रतिरोधक सिस्टम विकसित हो गया.
लंदन: कोरोना वायरस (Coronavirus) संक्रमण से जूझ रही दुनिया में उम्मीद की किरण दिखने लगी है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO)https://zeenews.india.com/hindi/tags/who.html ने कहा है कि कोरोना वैक्सीन पर तैयार की गई उसकी दो अध्ययन रिपोर्ट में सकारात्मक नतीजे सामने आए हैं लेकिन टीका बनाने के लिए अभी लंबा रास्ता तय करना होगा. अब उसे बड़े पैमाने पर दुनिया में परीक्षण करने होंगे. वैक्सीन की खोज के इस महत्वपूर्ण चरण में अधिक मात्रा में उपलब्ध डेटा और संसाधनों से काफी मदद मिलेगी.
द लैंसेट जर्नल में डब्ल्यूएचओ के आपातकालीन विभाग के प्रमुख डॉक्टर माइकल रयान की रिपोर्ट छपी है. डॉक्टर माइकल रयान ब्रिटेन की ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक भी हैं. रिपोर्ट में डॉक्डर रयान ने कहा कि कोरोना वैक्सीन के परीक्षण के दौरान सैकड़ों कोरोना संक्रमितों को टीके लगाए गए. टीके लगने के बाद उन सभी में कोरोना वायरस के खिलाफ मजबूत प्रतिरोधक सिस्टम विकसित हो गया. ब्रिटेन की ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और अस्त्रा जेनेका कंपनी की ओर से विकसित इस टीके को परीक्षण में पूरी तरह सुरक्षित, प्रतिरोधक शक्ति बढ़ाने वाला और शरीर के साथ समन्वय बनाने वाला पाया गया.
द लैंसेट जर्नल के अनुसार टीके की सिंगल डोज ने ही वायरस के खिलाफ ह्यूमरल और कोशिकीय दोनों तरह के असर दिखाए. अस्त्राजेनेका के परीक्षण में कोरोना टीका पूरी तरह सुरक्षित पाया गया. स्वस्थ्य वॉलिंटियर्स को लगाए गए टीकों से उनमें कोरोना वायरस के प्रति प्रतिरोधक क्षमता तेजी से बढ़ गई. वैक्सीन को विकसित करने वाली सारा गिल्बर्ट कहती हैं कि टीका तो बन गया लेकिन अभी बहुत काम किया जाना बाकी है. सभी परीक्षणों में खरा उतरने के बाद ही टीके को कोरोना वैक्सीन के रूप में घोषित किया जा सकेगा. लेकिन शुरूआती परीक्षण के सकारात्मक नतीजे एक अच्छी उम्मीद जगाते हैं. सारा गिल्बर्ट ने कहा कि हमें अभी तक ये नहीं पता है कि हम अपने शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत कैसे करें.
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अध्ययन रिपोर्ट में दावा किया गया कि परीक्षण में इस्तेमाल किए गए AZD1222 टीके का कोई साइड इफेक्ट नहीं पाया गया. ये टीका कोरोना के खिलाफ मजबूत प्रतिरोधक क्षमता और एंटीबॉडी विकसित करने में सहायक मिला. इस अध्ययन में कोरोना के इलाज में लगे स्वास्थ्य कार्यकर्ता, पुलिसकर्मी और दूसरे वॉलिंटियर्स ने भाग लिया. इन वॉलिंटियर्स को टीके की एक या दो खुराक दी गई, जिसके सकारात्मक नतीजे सामने आए. फिलहाल ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका और ब्रिटेन में तीसरे चरण के ट्रायल शुरू हो गए हैं. रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना वैक्सीन लगने के बाद कोई गंभीर रिएक्शन नहीं हुआ. कुछ लोगों में लक्षण उभरे लेकिन वो बहुत मामूली थे.