नई दिल्ली : भारत के इतिहास में पहली बार ऐसा हो रहा है जब 10 देशों के राष्ट्राध्यक्ष गणतंत्र दिवस कार्यक्रम में शिरकत करने वाले हैं. 26 जनवरी को दिल्ली के राजघाट पर दुनिया के 10 देश अपनी आंखों से भारत की ताकत को देखेंगे. अब तक गणतंत्र दिवस के मौके पर किसी एक ही देश के राष्ट्राध्यक्ष को अतिथि के रूप में बुलाने की परंपरा चली आ रही है. इन नेताओं के साथ म्यांमार की प्रधानमंत्री आंग सान सू की भी कार्यक्रम में हिस्सा लेनी वाली हैं. गुरुवार को सभी राष्ट्राध्यक्ष राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात कर तय कई कार्यक्रमों में हिस्सा लेंगे. इस बार गणतंत्र दिवस कार्यक्रम में आने वाले हर राष्ट्राध्यक्ष से भारत को कई सारे फायदे हैं और भारत का हर एक शख्स से खास नाता है.


ली सियन लूंग, प्रधानमंत्री के सिंगापुर

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ली सियन लूंग, प्रधानमंत्री सिंगापुर
सिंगापुर के प्रधानमंत्री ली सियन लूंग दूसरे ऐसे प्रधानमंत्री हैं जो गणतंत्र दिवस कार्यक्रम में शिरकत करने के लिए भारत आ रहे हैं. लूंग से पहले वर्ष 1954 में  सिंगापुर के पूर्व प्रधानमंत्री गोह चोक टोंग इस कार्यक्रम का हिस्सा बनें थे. 2014 में लूंग के सिंगापुर की सत्ता की कमान संभालने के बाद दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंध काफी मजबूत हुए हैं. अपने कार्यकाल के पहले दिन से लूंग प्रधानमंत्री मोदी को अपना दोस्त बताते हुए गठबंधन का पक्ष लेते रहे हैं. 


प्रायुत चान-ओचा, थाईलैंड

प्रायुत चान-ओचा, थाईलैंड
सिंगापुर के प्रधानमंत्री की तरह ही प्रायुत चान-ओचा भी थाईलैंड के दूसरे प्रधानमंत्री हैं जो गणतंत्र दिवस कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे. इससे पहले थाईलैंड के दूसरे प्रधानमंत्री यिंगलक शिनवात्रा इस कार्यक्रम का हिस्सा बन चुके हैं. प्रायुत और चीन के काफी अच्छे संबंध माने जाते हैं. भारत और चीन के बीच तल्खी के रिश्तों के बाद भी प्रायुत दोनों देशों के साथ अच्छे संबंध स्थापित किए हुए हैं. प्रायुत के कार्यकाल में ही भारत और थाईलैंड ने कई क्षेत्रों में सहयोग पर हस्ताक्षर किए हैं.


आंग सान सू की, म्यामांर

आंग सान सू की, म्यामांर
म्यामांर से भारत के रिश्तों की प्रगाढता किसी से छुपी हुई नहीं है. नोबल प्राइज विजेता आंग सांग सु की वर्तमान में म्यांमार की स्टेट काउंसलर है. अंग्रेजों से आजादी के वक्त देशों देशों के बीच काफी प्रगाढ़ संबंध थे जो कि वर्तमान में भी स्थापित हैं. दोनों देश कई बार एक दूसरे की अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मदद भी कर चुके हैं. 


सुल्तान बोल्किया, ब्रुनेई

सुल्तान बोल्किया, ब्रुनेई
राष्ट्राध्यक्षों की इस बैठक में मोदी 'पूर्व की तरफ देखो' (लुक ईस्‍ट पॉलिसी) नीति को जोर देने वाले हैं. ब्रुनेई भी इसी नीति का समर्थन करता है. ब्रुनई के सुल्तान हसनअलर बोल्किया पहली बार वर्ष 2012 में आसियान देशों के सम्मेलन में भारत आए थे. यह पहला मौका है जब ब्रुनेई का कोई सुल्तान गणतंत्र दिवस कार्यक्रम को हिस्सा बन रहा है.  


हुन सेन, कंबोडिया

हुन सेन, कंबोडिया
हुन सेन वर्ष 1985 से कंबोडिया की सत्ता को संभाले हुए हैं. इतने वर्षों से एक समय तक सत्ता में रहने कारण उनका नाम उन चंद राजनेताओं में शुमार है जिनका कार्यकाल इतना लंबा चला है. कंबोडिया और भारत का वर्षों पुराना रिश्ता है, दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक प्रभाव है. कंबोडिया में कई हिंदू मंदिर इस बात का जीता-जागता उदाहरण है. 


जोको विडोडो, इंडोनेशिया

जोको विडोडो, इंडोनेशिया
इंडोनेशिया के प्रधानमंत्री जोको विडोडो भी इस कार्यक्रम में शामिल होने वाले हैं. वर्ष 2014 में यह वहां के पीएम बने थे. इंडोनेशिया के साथ में भारत के संबंध लगाता मजबूत हो रहे है. दक्षिण-पूर्व में इंडोनेशिया की मजबूत भूमिका निभा रहा है. यह क्षेत्र के सबसे बड़े देशों में से एक माना जाता है. 


मोहम्मद नजीब बिन तुन अब्दुल रजाक, मलेशिया

मोहम्मद नजीब बिन तुन अब्दुल रजाक, मलेशिया
मोहम्मद नजीब बिन तुन अब्दुल रजाक, मलेशिया के प्रधानमंत्री है, वह वर्ष 2009 से मलेशिया की सत्ता को संभाल रहे हैं. मलेशिया में भारतीय योगदान का विशेष योगदान रहा है. भारतीय कंपनी ने बड़े पैमाने पर मलेशिया अर्थव्यवस्था में निवेश किया है.


गुयेन शुआन फुक, वियतनाम

गुयेन शुआन फुक, वियतनाम
गुयेन शुआन फुक वियतनाम के प्रधानमंत्री हैं. दोनों देशों के बीच रक्षा, तेल क्षेत्र, स्वास्थ्य और स्पेस जैसे कई मुद्दों पर समझौते हो चुके हैं. वियतनाम और भारत के बीच काफी प्रगाढ़ संबंध माने जाते हैं. 


रोड्रिगो दुतेर्ते, फिलीपींस 
फिलिपिंस के राष्ट्रपति रोड्रिगो दुतेर्ते देश के 16 वें राष्ट्रपति है. वह अब तक के कार्यकाल में सबसे ओल्डेस्ट राष्ट्रपति माने जाते है. रोड्रिगो पहली बार भारत आएंगे. लेकिन इससे पहले ही दोनों देशों के बीच यह संबंध और मजबूत तब हुए थे जब भारत ने फिलिपिंस को 5 लाख डॉलर देकर आर्थिक मदद की थी.