Kohinoor story: लंदन में करीब 5 साल पहले बकिंघम पैलेस ने तत्कालीन प्रिंस चार्ल्स के 70वें जन्मदिन के अवसर पर शाही रत्नों की प्रदर्शनी लगवाई थी. इस प्रदर्शनी में भारत से जुड़े कई रत्नों और आभूषणों को भी दिखाया गया था जोकि ब्रिटिश राजशाही भारत से लूटकर ले गए थे. मूर्तियों और चित्रों के अलावा 19 रत्नों से जड़ा एक लंबा सोने का करधनी भी शामिल था, जो कि एक भारतीय महाराजा अपने घोड़े को सजाने के लिए उस करधनी का प्रयोग करता था. इस प्रदर्शनी के बाद से ब्रिटेन के शाही परिवार की खूब आलोचना हुई थी. अब इसका खुलासा पूरी तरह से हो पाया है.


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46 पन्नों की फाइल से हुआ खुलासा
द गार्जियन ने हाल में ही एक भारतीय उपमहाद्वीप पर ब्रिटेन के शासन के लिए जिम्मेदार सरकारी विभाग इंडिया ऑफिस के अभिलेखागार से 46 पन्नों की फाइल का खुलासा किया है. इसमें क्वीन मैरी के उस आदेश का जिक्र है, जिसमें उन्होंने ब्रिटिश शाही परिवार को मिले गहनों की उत्पत्ति की जांच करवाई थी. यह 1912 की रिपोर्ट है. रिपोर्ट बताती है कि चार्ल्स के पन्ना रत्न वाले बेल्ट सहित कई अनमोल गहनों को भारत से विजय के प्रतीक के तौर पर ब्रिटेन लेकर आया था. बाद में इन रत्नों को महारानी विक्टोरिया को सौंप दिया गया था, जो कि ब्रिटिश शाही परिवार की संपत्ति के रूप में अब हो गई है.


भारत के गवर्नर थे जॉर्ज
रिपोर्ट के मुताबिक 1837 में सोसाइटी डायरिस्ट फैनी ईडन और उनके भाई जॉर्ज के पंजाब दौरे का जिक्र भी है और उस समय ब्रिटिश राज में भारत के गवर्नर जनरल थे. उन्होंने लाहौर में महाराजा रणजीत सिंह से मुलाकात की थी. उन्होंने 6 साल पहले अंग्रेजों के साथ दोस्ती की संधि पर हस्ताक्षर किए थे. आधे अंधे हो चुके महाराजा रणजीत सिंह ने बहुत कम कीमती रत्न पहने थे, लेकिन उनका दल बेशकीमती रत्नों से सजा हुआ था. महाराजा के पास इतने रत्न थे कि उन्होंने अपने घोड़े को एक से बढ़कर एक बहुमूल्य रत्नों से सजाकर रखते थे.


फैनी ईडन ने अपनी डायरी में लिखा है कि अगर कभी हमें इस राज्य को लूटने की अनुमति दी जाती है तो मैं सीधे उनके अस्तबल में जाऊंगा. 12 साल बाद महाराजा रणजीत सिंह के सबसे छोटे बेटे दलीप सिंह को ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की विजयी सेना के सामने पंजाब के विलय पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर होना पड़ा था और इस हार के परिणाम स्वरूप उन्हें ईस्ट इंडिया कंपनी को घोड़े के साथ पन्ने से सजा बेल्ट और बेशकीमती कोहिनूर रत्न देना पड़ा था. आज ये कोहिनूर हीरा महारानी एलिजाबेथ के ताज में लंदन के टावर में पर प्रदर्शित है.


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