Mumbai Attack 2008: 21/11 हमले की 14वीं बरसी, साजिश रचने वाले आतंकी कौन थे, आज कहा हैं?
21/11 Attack Mumbai: 26 नवंबर 2008 को मुंबई में विभिन्न स्थान पर हुए आतंकवादी हमलों में 166 लोगों की मौत हो गई थी जबकि कई अन्य घायल हुए थे. 10 पाकिस्तानी आतंकियों ने समुद्र के रास्ते मुंबई पहुंच कर इस हमले का अंजाम दिया था.
Mumbai Attack 2008: साल 2008 में मुंबई में हुए आतंकवादी हमलों की आज 14वीं बरसी हैं. 26 नवंबर 2008 को मुंबई में विभिन्न स्थान पर हुए आतंकवादी हमलों में 166 लोगों की मौत हो गई थी जबकि कई अन्य घायल हुए थे. 10 पाकिस्तानी आतंकियों ने समुद्र के रास्ते मुंबई पहुंच कर इस हमले का अंजाम दिया था. हमलावरों में सिर्फ अजमल कसाब ही था जिसे जिंदा पकड़ा जा सका. कसाब को 21 नवंबर 2012 को फांसी दे दी गई थी. लेकिन इस हमले की साजिश रचने वाले कौन थे और आज वे कहां हैं?
हाफिज सईद
लश्कर-ए-तैयबा और जमात-उद-दावा नाम के आतंकी संगठनों के प्रमुख हाफिज सईद को 2008 हमलों का मास्टरमाइंड कहा जाता है. सईद को अप्रैल 2020 में पाकिस्तान की आतंकवाद-रोधी अदालत ने 31 साल जेल की सजा सुनाई थी. कोर्ट ने उसकी संपत्ति जब्त करने का भी आदेश दिया था और उस पर जुर्माना भी लगाया. हालांकि कई मीडिया रिपोर्ट्स में यह दावा किया गया है कि अदालत द्वारा सजा सुनाए जाने के बावजूद हाफिज पाकिस्तान में खुलेआम घूमता है और नफरत भरे भाषण भी देता है.
साजिद मीर
साजिद मीर की भी हन हमलों मे मुख्य भूमिका बताई जाती है. अमेरिका ने मीर पर 5 मिलियन डॉलर का इनाम रखा था. मीर को जून 2022 पाकिस्तान की आतंकवाद-रोधी अदालत ने आतंकवाद वित्तपोषण मामले में 15 साल की सजा सुनाई थी.
जकी-उर-रहमान-लखवी
लखवी संयुक्त राष्ट्र की ओर से नामित आतंकवादी है. उसे जनवरी 2021 में पाकिस्तान में गिरफ्तार किया गया. आतंकवाद के वित्तपोषण के आरोप में लखवी को 15 साल की सजा सुनाई गई. लखवी को अदालत ने लशकर-ए-तैयाब से आतंकवादी हमलों के लिए पैसा इक्ट्ठा करने और उसे बांटने का दोषी पाया था.
डेविड कोलमैन हेडली
अमेरिकी-पाकिस्तानी नागरिक डेविड कोमैन हेडली भी इस हमलों की साजिश रचने वालों में शामिल था. उसने अपना नाम दाउद गिलानी से बदलकर डेविड हेडली कर लिया था. हेडली ने मुंबई की 5 यात्राएं की थीं. उसने उन जगहों को कैमरे से शूट किया जहां हमला किया जा सकता था. हेडली को अक्टूबर 2009 में अमेरिका में अरेस्ट किया गया. 10 दिसंबर 2015 को वह सरकारी गवाह बन गया. हमलों में उसकी भूमिका को लेकर उसे 35 साल की सजा सुनाई गई.
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