What Happend in Naroda Gam: साल 2002 गुजरात दंगे से जुड़े नरोदा गाम नरसंहार मामले में अहमदाबाद की विशेष अदालत ने गुरुवार को बड़ा फैसला सुनाया. कोर्ट ने माया कोडनानी, बाबू बजरंगी समेत तमाम आरोपियों को बरी कर दिया है. अदालत का यह फैसला 21 साल बाद आया है. एसआईटी मामलों के स्पेशल जज एसके बक्शी की अदालत ने यह फैसला सुनाते हुए गुरुवार (20 अप्रैल 2023) को सारे 68 आरोपियों को निर्दोष करार दिया है. ये दंगे साल 2002 में हुए थे, जिसमें 11 लोगों की मौत हो गई थी. माया कोडनानी उस वक्त गुजरात सरकार में मंत्री थईं और बाबू बजरंगी बजरंग दल के नेता.


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18 लोगों की हुई थी मौत


जांच के दौरान पुलिस ने माया कोडनानी और बाबू बजरंगी समेत 86 लोगों को केस में आरोपी बनाया था, जिसमें से 18 की मौत हो चुकी है. साल 2002 में गुजरात के गोधरा रेलवे स्टेशन पर एक ट्रेन को आग के हवाले कर दिया था, जिसमें 58 लोग जलकर मर गए थे. इसके अगले दिन विरोध में बंद बुलाया गया था. इसके बाद अहमदाबाद के नरोदा गाम ने सांप्रदायिक हिंसा का वो वक्त देखा, जिसमें 11 लोग अपनी जान गंवा बैठे. देखते-देखते इन दंगों ने पूरे गुजरात को अपने आगोश में ले लिया. 


एसआईटी का हुआ था गठन


मामले की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया गया, जिसमें माया कोडनानी आरोपी ठहराई गईं. आईपीसी की धारा 302 यानी हत्या, 307 हत्या की कोशिश, 143, 147 दंगे, 153, 129बी और 148 के तहत मामला दर्ज किया गया. गौरतलब है कि माया कोडनानी को इससे पहले स्पेशल कोर्ट ने नरोदा पाटिया दंगा मामले में दोषी ठहराया था. उनको 28 साल की सजा सुनाई गई थी. नरोदा पाटिया के दंगों में 97 लोग मारे गए थे. बाद में हाईकोर्ट ने कोडनानी को राहत देते हुए निर्दोष ठहराया था. साल 2009 में इस मामले की सुनवाई शुरू हुई थी. 57 चश्मदीदों के बयान दर्ज हुए थे. करीब 187 लोगों से पूछताछ की गई. 2017 में माया कोडनानी के बचाव में अमित शाह बतौर गवाह कोर्ट में पहुंचे थे. 13 साल से इस मामले की सुनवाई चल रही थी. 


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