देश में 3 साल में 36000 किसानों ने दी जान, हर किसान परिवार पर है 47 हजार का कर्ज
देश में साल 2014 से 2016 तक, तीन वर्षों के दौरान कर्ज, दिवालियापन एवं अन्य कारणों से करीब 36 हजार किसानों एवं कृषि श्रमिकों ने आत्महत्या की है.
नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने मंगलवार को बताया कि देश में 52 प्रतिशत कृषक परिवारों के कर्जदार होने का अनुमान है और प्रति कृषि परिवार पर बकाया औसत कर्ज 47000 रुपए है. इसके अलावा देश में साल 2014 से 2016 तक, तीन वर्षों के दौरान कर्ज, दिवालियापन एवं अन्य कारणों से करीब 36 हजार किसानों एवं कृषि श्रमिकों ने आत्महत्या की है. लोकसभा में एडवोकेट जोएस जार्ज के प्रश्न के लिखित उत्तर में कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय के कृषि वर्ष जुलाई 2012-जून 2013 के संदर्भ के लिये देश के ग्रामीण क्षेत्रों में 70वें राउंड के कृषि परिवार के सर्वेक्षण आंकड़ों के आधार पर यह बात कही.
उन्होंने बताया, ‘अखिल भारतीय स्तर पर बकाया कर्ज का लगभग 60 प्रतिशत संस्थागत स्रोतों से लिया गया था जिसमें सरकार से 2.1 प्रतिशत, सहकारी समिति से 14.8 प्रतिशत और बैंकों से लिया गया रिण 42.9 प्रतिशत था .’
कृषि मंत्री ने बताया कि कृषि परिवारों द्वारा गैर संस्थागत स्रोतों से लिये गए बकाया रिण में कृषि एवं व्यवसायिक सहूकारों से 25.8 प्रतिशत तथा दूकानदारों एवं व्यापारियों से 2.9 प्रतिशत, नौकरीपेशा या भूस्वामियों से 0.8 प्रतिशत, संबंधियों एवं मित्रों से 9.1 प्रतिशत तथा अन्य से 1.6 प्रतिशत रिण लिया गया था.
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सिंह ने बताया ‘प्रति कृषि परिवार बकाया कर्ज की औसत राशि 47000 रुपए थी.’ उन्होंने कहा कि सरकार ने संस्थागत रिण प्रवाह बढ़ाने और छोटे एवं सीमांत किसानों सहित अधिक से अधिक किसानों को संस्थागत कर्ज के तहत लाने के लिये अनेक उपाय किये हैं. इन उपायों के तहत अन्य बातों के साथ छोटे एवं सीमांत किसानों को बाधामुक्त फसल रिण प्रदान करने के लिये कदम उठाए गए हैं .
मंत्री ने बताया कि छोटे एवं सीमांत किसानों के लिये जमीनी स्तरीय कृषि कर्ज प्रवाह में सभी एजेंसियों की ओर से वित्त पोषितों की कुल संख्या में छोटे एवं सीमांत किसानों की हिस्सेदारी वर्ष 2015-16 में 60.07 प्रतिशत से बढ़कर वर्ष 2016..17 में 72.02 प्रतिशत हो गई.
तीन साल में 36 हजार किसानों ने की खुदकुशी
देश में साल 2014 से 2016 तक, तीन वर्षों के दौरान कर्ज, दिवालियापन एवं अन्य कारणों से करीब 36 हजार किसानों एवं कृषि श्रमिकों ने आत्महत्या की है. कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने 2014, 2015 के राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो के आंकड़े तथा वर्ष 2016 के अनंतिम आंकड़ों के हवाले से लोकसभा में यह जानकारी दी.
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लोकसभा में एडवोकेट जोएस जार्ज के प्रश्न के लिखित उत्तर में कृषि मंत्री ने कहा कि गृह मंत्रालय के राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो के ‘भारत में दुर्घटना मृत्यु तथा आत्महत्याएं’ नामक प्रकाशन में आत्महत्याओं से जुड़ी रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2014 में 12360 किसानों एवं कृषि श्रमिकों ने आत्महत्या की जबकि वर्ष 2015 में यह आंकड़ा 12602 था वर्ष 2016 के लिये राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो के अनंतिम आंकड़ों के मुताबिक 11370 किसान एवं कृषि श्रमिकों के आत्महत्या की बात सामने आई है.
कृषि मंत्रालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार, वर्ष 2015 की रिपोर्ट बताती है कि देशभर में दिवालियापन या रिण के कारण 8007 किसानों और 4595 कृषि मजदूरों ने आत्महत्या की.