आधार (Aadhaar) की वैधता पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आज, जानिए इससे क्या असर होगा
दरअसल, सेवानिवृत जज पुत्तासामी समेत कई अन्य लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर आधार कानून की वैधानिकता को चुनौती दी है.
नई दिल्ली : केंद्र के महत्वपूर्ण आधार कार्यक्रम और इससे जुड़े 2016 के कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली कुछ याचिकाओं पर आज (बुधवार को) सुप्रीम कोर्ट अपना महत्वपूर्ण फैसला सुना सकता है. सीजेआई दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच जजों की संविधान पीठ यह फैसला सुनाएगी. जानिए, आधार पर फैसला आने से क्या असर होगा...
पहला- आधार लिंक सर्विसेज पर असर होगा.
दूसरा- अगर इसे निजता का उल्लंघन माना गया तो आधार बनवाने की प्रक्रिया रुक जाएगी.
तीसरा- योजनाओं के लिए अनिवार्यता खत्म हुई तो सरकारी फंड की चोरी रोकना मुश्किल हो जाएगा.
चौथा- असल ज़रूरतमंदों तक योजनाओं का लाभ पहुंचाने में मशक्कत होगी.
पांचवां- बैंक अकाउंट, मोबाइल कनेक्शन के लिए अनिवार्यता खत्म हुई तो अपराध पर नियंत्रण लगाना मुश्किल हो जाएगा.
SC में दी गई है आधार कानून की वैधानिकता को चुनौती
दरअसल, सेवानिवृत जज पुत्तासामी समेत कई अन्य लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर आधार कानून की वैधानिकता को चुनौती दी है. याचिकाओं में विशेषतौर पर आधार के लिए एकत्र किए जाने वाले बायोमेट्रिक डाटा से निजता के अधिकार का हनन होने की दलील दी गई है. आधार की सुनवाई के दौरान ही कोर्ट मे निजता के अधिकार के मौलिक अधिकार होने का मुद्दा उठा था, जिसके बाद कोर्ट ने आधार की सुनवाई बीच में रोककर निजता के मौलिक अधिकार पर संविधान पीठ ने सुनवाई की और निजता को मौलिक अधिकार घोषित किया था. इसके बाद पांच न्यायाधीशों ने आधार की वैधानिकता पर सुनवाई शुरु की थी. कुल साढ़े चार महीने में 38 दिनों तक आधार पर सुनवाई हुई थी.
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क्या है पूरा मामला
आधार की वैधानिकता को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ वकील श्याम दीवान, अरविन्द दत्तार, गोपाल सुब्रमण्यम, पी. चिदंबरम, केवी विश्वनाथन, सहित आधा दर्जन से ज्यादा लोगों ने बहस की और आधार को निजता के अधिकार का हनन बताया था. याचिकाकर्ताओं का कहना था कि एकत्र किये जा रहे डाटा की सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम नहीं हैं. इसके अलावा बायोमेट्रिक पहचान एकत्र करके किसी भी व्यक्ति को वास्तविकता से 12 अंकों की संख्या में तब्दील किया जा रहा है. याचिकाकर्ताओं ने आधार कानून को मौलिक अधिकारों का हनन बताते हुए इसे रद्द करने की मांग की है. ये भी आरोप लगाया था कि सरकार ने हर सुविधा और सर्विस से आधार को जोड़ दिया है, जिसके कारण गरीब लोग आधार का डाटा मिलान न होने के कारण सुविधाओं का लाभ लेने से वंचित हो रहे हैं. उन्होंने ये भी कहा था कि सरकार ने आधार बिल को मनी बिल के तौर पर पेश कर जल्दबाजी में पास करा लिया है.