नई दिल्ली : लाभ के पद मामले में दिल्ली के 20 विधायकों की सदस्यता रद्द करने के मामले पर आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता तथा दिल्ली सरकार के मंत्री गोपाल राय ने कहा कि वे इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे. उन्होंने कहा कि इस मामले में उन्हें राष्ट्रपति से न्याय की उम्मीद थी. पार्टी ने राष्ट्रपति से मुलाकात का समय भी लिया था. उन्होंने आरोप लगाया कि राष्ट्रपति ने उन्हें अपनी बात रखने का मौका ही नहीं दिया गया. 


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कानून मंत्रालय का नोटिफिकेशन
शनिवार को चुनाव आयोग ने लाभ के पदों को लेकर दिल्ली सरकार के 20 विधायकों की सदस्यता खत्म करने की सिफारिश करते हुए राष्ट्रपति को चिट्ठी लिखी थी. रविवार को लाभ का पद मामले में आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों को राष्ट्रपति ने अयोग्य घोषित कर दिया है. केंद्रीय कानून मंत्रालय ने इन विधायकों की अयोग्यता का नोटिफिकेशन जारी कर दिया है. 


बता दें कि चुनाव आयोग ने राष्ट्रपित से सिफारिश की थी कि आम आदमी पार्टी के 21 विधायकों ने 13 मार्च, 2015 से 8 सितंबर, 2016 तक लाभ का पद रखा था. आम आदमी पार्टी ने अपने 21 विधायकों को दिल्ली सरकार के विभिन्न मंत्रालयों में संसदीय सचिव नियुक्त किया था. इन 21 विधायकों में से एक विधायक ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था इसलिए चुनाव आयोग का फैसला 20 विधायकों पर लागू होता है.


AAP के 20 विधायक अयोग्य करार, राष्ट्रपति ने दी मंजूरी, कानून मंत्रालय ने जारी किया नोटिफिकेशन


क्यों रद्द हुई सदस्यता
साल 2015 फरवरी में दिल्ली विधानसभा चुनावों में 70 में से 67 सीटें जीतने वाली आम आदमी पार्टी की सरकार बनने के बाद अरविंद केजरीवाल ने पार्टी के 6 विधायकों को मंत्री बनाया था. थोड़े दिन बाद सीएम ने 21 विधायकों को दिल्ली सरकार के विभिन्न मंत्रालयों में संसदीय सचिव बना दिया था. इसी साल चुनाव आयोग ने आम आदमी पार्टी के 21 विधायकों को संसदीय सचिव बनाए जाने के खिलाफ दायर की गई याचिका पर सुनवाई शुरू की थी. सुनवाई के दौरान ही आम आदमी पार्टी के 21 में से एक विधायक जरनैल सिंह  (राजौरी गार्डन) इस्तीफा दे दिया था. इसलिए उनके खिलाफ दायर मामला खत्म हो गया था. 


लाभ के पद का मामला: आम आदमी पार्टी के इन 20 विधायकों की गई 'विधायकी'


20 विधायकों पर मामला चलता रहा. अब जब चुनाव आयोग ने इस मामले में सुनवाई पूरी करके अपना फैसला सुना दिया है. आयोग के फैसले के खिलाफ यह विधायक हाईकोर्ट में अपील कर सकते हैं.  हालांकि, चुनाव आयोग के इस कदम को दिल्ली उच्च न्यायालय में चुनौती देने वाले पार्टी विधायकों को फिलहाल अदालत से कोई राहत नहीं मिल पाई थी.


सरकार को तत्काल कोई खतरा नहीं
इस घटनाक्रम से दिल्ली की आप सरकार को तत्काल कोई खतरा नहीं है, क्योंकि 70 सदस्यीय विधानसभा में उसके 66 विधायक हैं. इसके बावजूद, भाजपा और कांग्रेस ने नैतिक आधार पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के इस्तीफे की मांग की थी. चुनाव आयोग की सिफारिश पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए आप ने दावा किया था कि मुख्य चुनाव आयुक्त प्रधानमंत्री के इशारे पर उसकी सरकार को अस्थिर करने का प्रयास कर रहे हैं. चुनाव आयोग की सिफारिश को चुनौती देते हुए इनमें से सात विधायकों ने दिल्ली उच्च न्यायालय का रुख किया था, लेकिन न्यायमूर्ति रेखा पल्ली की पीठ ने उनकी याचिका पर फिलहाल कोई अंतरिम आदेश देने से इंकार कर दिया.