Aditya-L1 mission: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के पूर्व अध्यक्ष जी माधवन नायर ने शनिवार को यहां कहा कि भारत के पहले सूर्य मिशन ‘आदित्य-एल1’ के सफल प्रक्षेपण के साथ देश कुछ पूर्वानुमान मॉडल विकसित कर सकता है और जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए एक योजना तैयार कर सकता है.


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श्रीहरिकोटा से आदित्य उपग्रह को ले जाने वाले पीएसएलवी-सी57 की सफल उड़ान के बाद नायर ने कहा कि विभिन्न घटनाओं को समझने के लिए सौर सतह का अध्ययन करना बहुत महत्वपूर्ण है जो ‘‘हमारी स्थानीय मौसम स्थितियों को तुरंत प्रभावित करती हैं.’’


नायर ने कहा, 'जलवायु परिवर्तन के अध्ययन में सौर विकिरण की दीर्घकालिक परिवर्तनशीलता भी एक बहुत महत्वपूर्ण कारक है. इसलिए, इन सभी क्षेत्रों में, इस अद्वितीय मिशन के माध्यम से बुनियादी ज्ञान प्राप्त किया जा सकेगा.'


उन्होंने कहा कि उपग्रह के अपेक्षित अंतिम गंतव्य ‘लैग्रेंज’ बिंदु 1 (एल1) से उपग्रह चौबीसों घंटे सूर्य का निरीक्षण कर सकता है और विभिन्न सौर घटनाओं के संबंध में सटीक डेटा प्रदान कर सकता है.


वर्ष 2003 से 2009 तक इसरो के अध्यक्ष रहे नायर ने कहा, 'हम केवल कुछ (पूर्वानुमान) मॉडल बनाने की कोशिश कर सकते हैं, और मॉडल को इस प्रयोग के माध्यम से मान्य किया जा सकता है. यह कुछ संकेतक प्रदान कर सकता है जिसके आधार पर हम ग्रह के लिए एक लचीली योजना बना सकते हैं.'


उन्होंने कहा कि जब यह ‘एल1’ कक्षा की यात्रा जारी रखेगा तो विकिरण का खतरा आदित्य मिशन के लिए सबसे चुनौतीपूर्ण हिस्सा होने वाला है.


नायर ने कहा कि इससे अंतरिक्ष यान में लगे इलेक्ट्रॉनिक उपकरण प्रभावित हो सकते हैं और दिशा-निर्देशन या प्रणोदन प्रणाली को कोई भी नुकसान देश के पहले सूर्य मिशन को मुश्किल में डाल सकता है.


इसरो के पूर्व वैज्ञानिक एवं केरल के मुख्यमंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार एम. चंद्रदाथन ने कहा कि ग्लोबल वार्मिंग की परिस्थितियों में भविष्य की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए नवीनतम प्रौद्योगिकी पेलोड के साथ मिशन बहुत महत्वपूर्ण है.


उन्होंने कहा, 'हमें सौर ऊर्जा का उपयोग करना होगा, पानी को ऑक्सीजन और हाइड्रोजन में विभाजित करना होगा और ईंधन के लिए उस हाइड्रोजन का इस्तेमाल करना होगा.'


(एजेंसी इनपुट के साथ)