‘मैं अर्नब हूं! मैं आपको दिखाऊंगा कि मैं क्या कर सकता हूं`, जब गोस्वामी ने अन्वय नाईक की बेटी को धमकाया
अदन्या ने बताया है, उनके पिता रिपब्लिक टीवी के साथ कौन से प्रोजेक्ट पर काम कर रहे थे. कैसे केस की पैरवी करते समय उनके परिवार को धमकियां दी गईं.
मुंबई: महाराष्ट्र पुलिस (Maharashtra Police) ने रिपब्लिक टीवी (Republic TV) के एडिटर-इन-चीफ अर्नब गोस्वामी (Arnab Goswami) को दो साल पुराने आत्महत्या के एक मामले में गिरफ्तार किया है. इस गिरफ्तारी के बाद बहस छिड़ गई है कि क्या यह ‘फ्री स्पीच’ पर हमला है. केस कॉनकॉर्ड डिजाइन्स प्राइवेट लिमिटेड के प्रबंध निदेशक अन्वय नाईक की खुदकुशी से संबंधित है. उन्होंने कथित तौर पर एक सुसाइड नोट छोड़ा था, जिसमें गोस्वामी पर गंभीर आरोप लगाए थे.
इस सुसाइड नोट में अर्नब पर डिजाइनर अन्वय नाईक का बकाया भुगतान न करने के आरोप लगाए गए हैं. पीड़ित परिवार ने सीधे तौर पर कहा है, अर्नब गोस्वामी की वजह से ही अन्वय नाईक ने आत्महत्या की थी. पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ सबूतों की कमी का हवाला देते हुए मामले को 2019 में बंद कर दिया था. मई 2020 में महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने अपराध जांच विभाग को मामले की फिर से जांच करने के आदेश दिए. ‘The Caravan’ को दिए एक साक्षात्कार में अन्वय की बेटी अदन्या नाईक ने इस मामले से जुड़े कई पहलू उजागर किए हैं.
अदन्या ने बताया कि उनके पिता रिपब्लिक टीवी के साथ कौन से प्रोजेक्ट पर काम कर रहे थे. कैसे केस की पैरवी करते समय उनके परिवार को धमकियां दी गईं.
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कुल 6.4 करोड़ का था प्रोजेक्ट
अदन्या नाईक ने बताया, 'उनके पिता को 2016 में रिपब्लिक टीवी नेटवर्क की तरफ से वर्क ऑर्डर मिला था. इस प्रोजेक्ट की कुल लागत 6.4 करोड़ रुपये थी. प्रोजेक्ट पूरा कर सौंप दिया गया. सब कुछ सही था फिर भी लास्ट में मेरे पिता को प्रोजेक्ट में कुछ बदलाव के लिए मजबूर किया गया. समय कम होने के बावजूद गोस्वामी, उनकी पत्नी और परिवार वालों के मुताबिक परिवर्तन किए गए और उन्हें समय से पहले प्रोजेक्ट सौंप दिया गया.'
बहुत डरे हुए थे नाईक
अदन्या नाईक कहती हैं, इतने दबाव में काम करने के बावजूद उनके पिता से कहा गया कि आपको रुपये नहीं मिलेंगे, चाहे जो कर लो. रुपये देने से अर्नब ने प्रोजेक्ट के बीच में ही मना कर दिया था. अर्नब कहते थे, ‘मैं अर्नब हूं! मैं आपको दिखाऊंगा कि मैं क्या कर सकता हूं. आप बेशक महाराष्ट्रियन हो मेरा कुछ भी नहीं कर सकते. उसी दौरान घर पर चर्चा हुई कि पुलिस में शिकायत दर्ज करानी चाहिए, लेकिन मेरे पिता बहुत डरे हुए थे. अर्नब ने मेरे पिता को मेरा करियर बर्बाद करने की भी धमकी दी. उस दौरान मैं अपनी इंटर्नशिप कर रही थी.’
शुरुआत से ही साजिश थी
अदन्या नाईक बताती हैं, अर्नब ने प्रोजेक्ट के आखिरी वक्त में बहुत सारे बदलाव किए. उन्हें कोई भी डिजाइन पसंद नहीं आती थी तो तुरंत बदलाव मांगते थे. बार-बार हो रहे बदलावों के कारण प्रोजेक्ट की लागत बढ़ती जा रही थी. अदन्या ने आरोप लगाया कि भुगतान न करना पड़े इसलिए अर्नब की ये शुरुआत से ही साजिश थी. वो शुरू से ही भुगतान नहीं करना चाह रहे थे. यदि वह भुगतान करने का इरादा रखते तो बहुत पहले कर चुके होते.
अप्रैल 2017 में सौंप दिया था प्रोजेक्ट
अदन्या ने बताया, 'इसके अलावा उसी समय अन्य प्रोजेक्ट फिरोज शेख और नितिश सारदा के साथ चल रहे थे. शेख और सारदा पर भी 4 करोड़ 55 लाख रुपये का बकाया है. असल में गोस्वामी पर 83 लाख से कहीं अधिक बकाया है. मेरे पिता रोते रहे और अर्नब गोस्वामी लगातार कटौती करते रहे.' अदन्या कहती हैं, अकेले अर्नब पर 1.2 करोड़ रुपये से अधिक का बकाया है जिसे घटाकर 83 लाख रुपये कर दिया गया. लेकिन बेहद शर्म की बात है, अर्नब यह भुगतान भी नहीं कर रहे जबकि प्रोजेक्ट अप्रैल 2017 में ही सौंप दिया गया था.
लगातार मांग के बावजूद नहीं किया भुगतान
एक साल से अधिक समय तक हम रुपये की मांग करते रहे लेकिन भुगतान नहीं किया गया. मेरे पिता ने कई बार विनती की. यहां तक कहा, ‘यह मेरे जीवन और मृत्यु का प्रश्न है.’ अदन्या ने कहा, 'अगर हम इन तीनों अभियुक्तों (अर्नब, फिरोज, नितिश सारदा) से 5.4 करोड़ रुपये का बकाया प्राप्त कर लेते हैं तो हमारा व्यवसाय बच सकता है.'
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पुलिस एफआईआर दर्ज नहीं करना चाहती थी
रायगढ़ थाने में दर्ज एफआईआर के बाबत अदन्या ने कहा कि पुलिस उस समय एफआईआर दर्ज ही नहीं करना चाहती थी. अर्नब का नाम सुनते ही सब डर जाते थे. उस समय जांच अधिकारी सुरेश वारडे ने मुझे और मेरी मां को धमकी दी थी. उन्होंने कहा था, ‘देखो, यह तुम्हारे जीवन का प्रश्न है. हाई प्रोफाइल लोग हैं ये. मेरी सलाह है कि आप एफआईआर न कराएं.’ मेरे रिश्तेदारों पर भी दबाव डाला गया, उनसे पूछताछ की गई. बड़ी मुश्किलों से एफआईआर दर्ज की गई. एफआईआर दर्ज होने के बाद भी तीनों आरोपी लंबे समय तक गिरफ्तार नहीं हुए.