Indian Railway: आप जिस ट्रेन में करते हैं सफर वो कब होती है रिटायर? जानिए बाद में इसका क्या होता है
Indian Railway Facts: पैसेंजर ट्रेनों में कई तरह के कोच हैं, जिनमें एसी, जनरल और स्लीपर शामिल हैं. लेकिन कभी आपने सोचा है कि यात्री ट्रेन कब रिटायर होती है और बाद में इसका क्या होता है? आइए बताते हैं.
नई दिल्ली: भारतीय रेलवे एशिया का दूसरा और दुनिया का चौथा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो देश में 12,167 पैसेंजर ट्रेन है. इसके अलावा भारत में 7,349 मालगाड़ी ट्रेन है. बता दे, देश में रोजाना 23 मिलियन यात्री ट्रेन से यात्रा करते है, ये संख्या ऑस्ट्रेलिया जैसे देश की पूरी आबादी के बराबर है. अगर आपने कभी ट्रेन में सफर किया है तो आपको पता होगा कि पैसेंजर ट्रेनों में कई तरह के कोच हैं, जिनमें एसी, जनरल और स्लीपर शामिल हैं. लेकिन कभी आपने सोचा है कि यात्री ट्रेन कब रिटायर होती है और बाद में इसका क्या होता है? आइए बताते हैं.
यात्री कोच 25 साल में होता है रिटायर
आपको बता दें कि भारतीय रेलवे में यात्रियों को सेवाएं देने वाले ICF (Integral Coach Factory) कोच की कोडल लाइफ (Codal Life) 25 साल की होती है. इसका मतलब एक यात्री कोच अधिकतम 25 साल ही सवाएं दे सकता है. 25 साल के दौरान भी यात्री कोच को हर 5 या दस साल में एक बार मरम्मत और मेंटेनेंस के लिए ले जाया जाता है.
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रिटायर होने के बाद बन जाता है NMG कोच
25 साल के बाद जब यात्री कोच रिटायर हो जाता है, तो इसे ऑटो कैरियर में बदल दिया जाता है. इसके बाद इनका नाम NMG रेक कर दिया जाता है. NMG यानी Newly Modified Goods वैगन. इस वैगन को इस तरह से तैयार किया जाता है जिसमें कार, मिनी ट्रक और ट्रैक्टरों को आसानी से लोड और अनलोड किया जा सकता है. इस तरह के कोच के दरवाजे और खिड़कियां बंद कर दी जाती हैं.
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जानें NMG कोच कैसे करता है काम?
रिटायर यात्री कोच को NMG कोच में तब्दील करने के बाद उसे 5 से 10 साल तक और इस्तेमाल किया जाता है. इस दौरान इस कोच को पूरी तरह से सील कर दिया जाता है. कोच के भीतर से सभी सीट, पंखे और लाइट को खोल दिया जाता है. इसके अलावा इसे और मजबूत बनाने के लिए लोहे की पट्टियों को लगाया जाता है. अब आप सोचेंगे कि जब इसे पूरी तरह से सील कर दिया जाता है तो फिर इसमें सामान कैसे रखा जाता है. बता दें कि पूरी तरह से सील करने का मतलब है खिड़की और दरवाजे को लॉक कर देना. सामान रखने के लिए कोच के पिछले हिस्से में दरवाजा बनाया जाता है.
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