Agniveer Scheme: सेना भर्ती की अग्निवीर योजना बीते कई दिनों से सुर्खियों में है. इस योजना के खिलाफ विपक्ष केंद्र सरकार पर लगातार हमलावर है. इस बीच इंडियन नेवी के पूर्व एडमिरल अरुण प्रकाश ने अग्निवीर योजना को लेकर कुछ सुझाव दिए हैं. उन्होंने कहा कि योजना में सेवा की अवधि को मौजूदा 4 साल के बजाय 10 साल होना चाहिए. उनका मानना है कि नई योजना के तहत सैनिकों के लिए छह महीने ट्रेनिंग पर्याप्त नहीं है. अपर्याप्त ट्रेनिंग सेना की युद्ध क्षमता को कमजोर कर सकती है.


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क्या कहा अरुण प्रकाश ने?


पिछले महीने प्रकाशित एक लेख में प्रकाश ने लिखा था कि अग्निवीर योजना अपने वर्तमान स्वरूप में केवल सेना के लिए फिट बैठती है. उन्होंने लिखा, नौसेना और वायुसेना के मामले में किसी नये भर्ती को घातक हथियार प्रणालियों और जटिल मशीनरी और इलेक्ट्रॉनिक्स के संचालन का पर्याप्त अनुभव प्राप्त करने के लिए कम से कम 5-6 वर्षों की जरूरत होती है.


पूर्व नौसेना दिग्गज ने दिया सुझाव


पूर्व नौसेना के दिग्गज ने सुझाव दिया कि अगर सेना को और अधिक बुद्धिमान और चतुर लोग मिलते हैं तो इस ट्रेनिंग अवधि को घटाकर 3-4 साल किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि सेना को सैनिकों को एक बार प्रशिक्षित करने के बाद कुछ और वर्षों तक उपयोग करना चाहिए.


कुछ और वर्षों तक सेवा में रखना चाहिए..


उन्होंने द वायर को दिए इंटरव्यू में कहा, "यदि आप सेवाओं में अधिक बुद्धिमान और चतुर लोग ला रहे हैं तो शायद आप इसे (ट्रेनिंग) घटाकर तीन या चार साल कर सकते हैं. अग्निवीर जब प्रशिक्षित हो जाता है और अपने काम को अच्छे से जान जाता है तो फिर आपको उसका इस्तेमाल करना चाहिए. आपको उसे अपनी यूनिट में योगदान करने के लिए कुछ और वर्षों तक सेवा में रखना चाहिए. इसलिए मैं कहूंगा कि 7-8 साल शायद 10 साल तक मौजूदा चार साल से अधिक समझदारी भरा है."


..आप बचत तो करेंगे ही


उन्होंने कहा कि तो आप उसे प्रशिक्षित करें, उसे कुशल बनाएं, उसे सक्षम बनने दें, और फिर उसे कुछ वर्षों के लिए इस्तेमाल करें और फिर उसे जाने दें. आपके पास अभी भी वही लाभ हो सकते हैं. आपको उसे पेंशन देने की ज़रूरत नहीं है. आप बचत तो करेंगे ही.


योजना पर विपक्ष लगातार हमलावर


बता दें कि अग्निवीर योजना जून 2022 में शुरू हुई है. इस योजना के तहत चुने गए युवाओं को अग्निवीर कहा जाता है. जिन्हें चार साल के लिए सेना में भर्ती किया जाता है. चार साल बाद इनमें से 25 प्रतिशत को बरकरार रखा जाएगा और बाकी 75 प्रतिशत को छोड़ दिया जाएगा. केंद्र सरकार का कहना है कि इस योजना को सेनाओं की युवा प्रोफाइल को सक्षम करने के लिए डिजाइन किया गया है. जबकि विपक्ष और लोगों के एक वर्ग का मानना है कि यह बढ़ती पेंशन लागत को बचाने के लिए किया गया है.