अजित और शरद पवार की पार्टियों का होगा विलय? अमित शाह की मीटिंग से बढ़ा सस्पेंस
अचानक अजित पवार ने दिल्ली में आकर अमित शाह से मुलाकात की है. रोचक बात ये है कि पवार गुटों के विलय की चर्चा के बीच बीजेपी ने किसी प्रकार का ऐतराज नहीं जताया है.
महाराष्ट्र में कुछ बड़ा होने वाला है. इस वक्त सूबे में चर्चा पवार गुटों के विलय और मंत्री धनंजय मुंडे के एक करीबी सहयोगी की मर्डर केस में गिरफ्तारी को लेकर जारी राजनीतिक विवाद की हो रही है. ऐसे में अचानक अजित पवार ने दिल्ली में आकर अमित शाह से मुलाकात की है. एक घंटे की मुलाकात में जाहिर है कि सभी पक्षों को लेकर बात हुई होगी. इसमें रोचक बात ये है कि पवार गुटों के विलय की चर्चा के बीच बीजेपी ने किसी प्रकार का ऐतराज नहीं जताया है. सूत्र बता रहे हैं कि कुछ तो अंदर ही अंदर घटित हो रहा है. शरद पवार की पीएम मोदी से पिछले दिनों मुलाकात, अजित पवार की मां की दोनों गुटों के फिर से एक होने की मनोकामना इस बात का संकेत दे रहे हैं कि दोनों पवार गुट विलय की जमीन तलाश कर रहे हैं.
दरअसल शरद पवार की एनसीपी (एसपी) के आठ लोकसभा सांसद हैं. अजित पवार के पास केवल एक लोकसभा सांसद सुनील तटकरे हैं. शिवसेना (यूबीटी) के नेता संजय राउत ने बुधवार को दावा किया कि अजित पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) अपनी प्रतिद्वंद्वी राकांपा (एसपी) में दलबदल कराने की कोशिश कर रही है. राउत की यह टिप्पणी एनसीपी नेता अमोल मितकरी के उस बयान के बाद आई है जिसमें उन्होंने कहा था कि शरद पवार नीत राकांपा के कुछ लोकसभा सदस्य महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार के संपर्क में हैं. राउत ने पत्रकारों से बातचीत में आरोप लगाया कि एनसीपी के वरिष्ठ नेता प्रफुल्ल पटेल और तटकरे को शरद पवार के नेतृत्व वाले गुट में दलबदल कराने का काम सौंपा गया है. राउत ने ये भी कहा, "पार्टी (एनसीपी) को केंद्र सरकार में कोई पद नहीं मिलेगा, जब तक कि वे शरद पवार के नेतृत्व वाले गुट से दलबदल कराने में कामयाब नहीं हो जाते."
राकांपा (एसपी) के विधायक और राज्य के पूर्व मंत्री जितेंद्र अव्हाड ने भी आरोप लगाया कि अजित पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी के महाराष्ट्र प्रमुख सुनील तटकरे ने प्रतिद्वंद्वी गुट के सांसदों से "बाप-बेटी को छोड़ने" के लिए कहा था.
शरद पवार का दांव
सूत्रों के हवाले से ये भी खबर आई थी कि इस मुहिम की जानकारी शरद पवार को हो गई थी और उन्होंने अजित गुट के नेताओं से नाराजगी भी जाहिर की थी. लेकिन शरद पवार ये भी जानते हैं कि महाराष्ट्र और केंद्र में अगले पांच साल तक कोई चुनाव नहीं होने जा रहा है. इसलिए 84 साल की उम्र में उनके लिए तब तक अपनी पार्टी के 10 विधायकों और लोकसभा एवं राज्यसभा सांसदों को एकजुट करके रखना बड़ी चुनौती होगी. जबकि वो ये भी जानते हैं कि अंदरूनी स्तर पर उनकी पार्टी के नेताओं की अजित पवार को लेकर सहानुभूति भी है क्योंकि पार्टी में विभाजन से पहले सब एक ही थे.
ऐसे में सूत्रों से छनकर खबर आ रही है कि यदि विलय की संभावना बन जाती है तो शरद पवार बेटी सुप्रिया सुले के भविष्य को देखते हुए उनके लिए केंद्र में मंत्री पद के लिए लॉबिंग कर सकते हैं. यदि सुप्रिया को केंद्र में मंत्री पद मिल जाता है तो दिल्ली में लोकसभा और राज्यसभा सांसदों का कंट्रोल सुप्रिया सुले के पास होगा और महाराष्ट्र में अजित पवार पार्टी को देखेंगे. इस समझौते के आधार पर एनसीपी के दोनों गुट आपस में एक हो सकते हैं और विलय का मार्ग प्रशस्त हो सकता है.
दूसरी एक बात ये भी अहम है कि इस साल शरद पवार का राज्यसभा का कार्यकाल खत्म हो रहा है. अब उन्हें दोबारा राज्यसभा में जाने के लिए अजित गुट की एनसीपी के विधायकों की जरूरत पड़ेगी. इसके अलावा निकाय चुनावों भी आने वाले हैं. ऐसे में यदि दोनों पवार धड़े एक साथ आ जाते हैं तो एनसीपी एक मजबूत पार्टी होगी. एकजुट होने की स्थिति में उसके पास अपने 20.29 प्रतिशत वोटर होंगे.
इन समीकरणों के आधार पर कहा जा रहा है कि एनसीपी के दोनों धड़े एकजुट होने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं क्योंकि दोनों को एक दूसरे की जरूरत है और विलय होने की स्थिति में एनसीपी महाराष्ट्र और केंद्र में मजबूत स्थिति में दिखेगी.