Maharashtra Politics: महाराष्ट्र में लगता है एक बार फिर सियासी खिचड़ी पक रही है. एक तरफ सूत्र कह रहे हैं कि अजित पवार नए गठबंधन की तैयारी में हैं तो दूसरी ओर महाराष्ट्र सरकार में मंत्री छगन भुजबल ने सोमवार को शरद पवार से मुलाकात की.  


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अजित पवार बीजेपी और शिवसेना (एकनाथ शिंदे) की अगुआई वाली महायुति का हिस्सा है.महाराष्ट्र में आने वाले कुछ महीनों में विधानसभा चुनाव में होने हैं. बताया जा रहा है कि अजित पवार वंचित अघाड़ी और असदुद्दीन ओवैसी के AIMIM के साथ गठजोड़ कर सकते हैं. बताया जा रहा है कि अजित पवार के इस कदम के बाद बीजेपी भी अपनी नई रणनीति बना सकती है. 


शरद पवार से क्या हुई बातचीत?


वहीं बैठक के बाद छगन भुजबल ने बताया कि उनकी शरद पवार से क्या मुलाकात हुई. भुजबल ने बताया कि मराठा और ओबीसी समुदाय के बीच आरक्षण के मुद्दे को लेकर चल रही तकरार खत्म हो सकती है अगर तमाम पार्टियां साथ आ जाएं. पिछले साल जुलाई में जब एनसीपी टूट गई थी, उसके बाद से छगन भुजबल की शरद पवार से यह पहली मुलाकात थी. 


भुजबल ने कहा, शरद पवार जानते हैं कि गांवों में कैसे विभिन्न समुदायों के लोग रहते हैं. मैंने उनको बताया कि मराठा आरक्षण को लेकर गांवों में झड़प हो रही हैं.अगर तमाम पार्टियां साथ आ जाएं तो इनको रोका जा सकता है. वरना स्थिति और बिगड़ जाएगी. उन्होंने (शरद पवार) कहा कि वह सीएम शिंदे से इस मामले बात कर कोई हल निकालेंगे. 


मुलाकात के बाद मची सियासी हलचल


छगन भुजबल ने कहा कि शरद पवार महाराष्ट्र के बड़े नेता हैं, जो इस मामले को बेहतर तरीके से समझते हैं. भुजबल ने कहा, 'मराठा और ओबीसी समुदायों के मन में महाराष्ट्र के कई हिस्सों में एक-दूसरे के लिए घृणा पैदा हो रही है. वे एक -दूसरे के घर भी नहीं जाते.' हालांकि भुजबल और शरद पवार की मुलाकात के बात सियासी गलियारों में हलचल तेज हो गई है.


वहीं एनसीपी के सूत्रों ने बताया कि भुजबल को लग रहा है कि पार्टी में उनकी बात नहीं सुनी जा रही है. उन्होंने कहा कि वह अजित पवार के संगठन के साथ हैं, लेकिन पार्टी के भीतर राजनीतिक रूप से अलग-थलग हैं. भुजबल की शरद पवार से मुलाकात के बारे में पूछे जाने पर राज्य के मंत्री और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता सुधीर मुनगंटीवार ने कहा कि वैचारिक मतभेदों के बावजूद महाराष्ट्र में राजनीतिक नेताओं के बीच एक-दूसरे से चर्चा करना एक आम बात है. शरद पवार की पार्टी के नेता जितेंद्र आव्हाड ने कहा, 'यह शरद पवार की उदारता का परिचायक है कि वह सार्वजनिक क्षेत्र में भी विपरीत विचार रखने वाले व्यक्तियों को समय देते हैं.'