शॉर्ट सर्किट नहीं नर्स की जलाई माचिस ने मचाया मौत का तांडव? चश्मदीद ने बताई झांसी अस्पताल हादसे की कहानी
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शॉर्ट सर्किट नहीं नर्स की जलाई माचिस ने मचाया मौत का तांडव? चश्मदीद ने बताई झांसी अस्पताल हादसे की कहानी

Jhansi Hospital Fire: उत्तर प्रदेश के झांसी के मेडिकल कॉलेज में लगी आग को लेकर चश्मदीद ने बड़ा दावा किया है. उन्होंने कहा कि अस्पताल में मौत का तांडव शॉर्ट सर्किट से नहीं बल्कि नर्स की माचिस की वजह से मचा है. जिसमें 10 बच्चों की मौत हो गई है. 

शॉर्ट सर्किट नहीं नर्स की जलाई माचिस ने मचाया मौत का तांडव? चश्मदीद ने बताई झांसी अस्पताल हादसे की कहानी

Jhansi Hospital Fire: शुक्रवार रात झांसी के अस्पताल में घटी दर्दनाक घटना ने सभी को हैरान कर दिया. अस्पताल में लगी भीषण आग में 10 नवजात शिशुओं की मौत हो गई. इसके अलावा 16 बच्चे अस्पताल में जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहे हैं. आग लगने के पीछे शॉर्ट सर्किट बताया जा रहा है. हालांकि कुछ लोगों ने दावा किया है कि यह इतनी बड़ी घटना एक नर्स की लापरवाही के चलते घटी है. हालांकि शनिवार शाम को उत्तर प्रदेश सरकार को जांच रिपोर्ट सौंपे जाने के बाद महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में आग लगने के कारणों की स्पष्ट तस्वीर सामने आएगी. लेकिन उससे पहले  प्रत्यक्षदर्शियों के इस दावे के बाद मामले में नया मोड़ आ गया है.

'नर्स की माचिस से लगी आग'

हमीरपुर निवासी भगवान दास ने दावा किया है कि जिस समय घटना घटी मैं अस्पताल में ही मौजूद था. उनका कहना है कि मेरा बेटा अस्पताल में भर्ती था. भगवान दास ने दावा किया कि एक नर्स ने ऑक्सीजन सिलेंडर की पाइप को जोड़ने की कोशिश करते समय माचिस जलाई थी. ऑक्सीजन युक्त वातावरण होने के कारण वार्ड में आग लग गई. दास ने कहा कि ऑक्सीजन अत्यधिक ज्वलनशील है और इससे पूरे वार्ड में तेजी के साथ आग लग गई. दास ने बताया,'माचिस जलाते ही पूरे वार्ड में आग लग गई.' भगवान दास ने बताया कि अचानक आग फैलने के बाद मची अफरा-तफरी के बीच मैंने जल्दी से 3-4 बच्चों को अपने गले में बंधे कपड़े से लपेटा और उन्हें सुरक्षित स्थान पर ले गया. इसके अलावा उन्होंने अन्य लोगों की मदद से कुछ और बच्चों को भी बचाया.

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सिक्योरिटी सिस्टम पर उठे सवाल

शुक्रवार रात करीब साढ़े दस बजे वार्ड में लगी आग से अस्पताल में भगदड़ जैसी स्थिति पैदा हो गई. वार्ड में एक्सपायर हो चुके अग्निशामक यंत्र पाए गए और सुरक्षा अलार्म भी नहीं बज रहे थे जिससे लोगों को निकालने में देरी हुई. हालांकि उत्तर प्रदेश सरकार ने इस आरोप से इनकार किया है कि अस्पताल में फायर अलार्म और अन्य सिक्योरिटी सिस्टम काम नहीं कर रहे थे. स्वास्थ्य विभाग संभालने वाले डिप्टी सीएम बृजेश पाठक ने कहा कि अस्पताल का अग्नि सुरक्षा ऑडिट फरवरी में किया गया था, उसके बाद जून में मॉक फायर ड्रिल की गई थी. 

'किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा'

घटना को लेकर उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक, जो स्वास्थ्य विभाग भी संभालते हैं, ने कहा कि पहली नजर में ऐसा लगता है कि आग ऑक्सीजन कंसंट्रेटर के अंदर शॉर्ट सर्किट के कारण लगी. पाठक ने आगे कहा,'आग लगने के कारणों की जांच की जाएगी, अगर कोई चूक पाई जाती है, तो जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी और किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा.'

मुआवजे का हुआ ऐलान

इसके अलावा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी ने भी घटना को दुख का इज़हार किया और मरने वाले बच्चों के परिवारों को 5-5 लाख रुपये देने का ऐलान किया. साथ ही घायलों को 50-50 हजार रुपये मुआवजा देने की घोषणा की है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस घटना को हृदय विदारक बताते हुए कहा कि मृतकों के परिवारों को 2-2 लाख रुपये की अतिरिक्त सहायता दी जाएगी.

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