Akhilesh Yadav लगातार तीसरी बार चुने गए SP अध्यक्ष, अब सामने होंगी ये बड़ी चुनौतियां
Samajwadi Party Chief: अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) को लगातार तीसरी बार समाजवादी पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुन लिया गया, लेकिन अब उनके सामने पहले से ज्यादा चुनौतियां होंगी.
Akhilesh Yadav Re-Elected SP Chief: अखिलेश यादव को गुरुवार को लगातार तीसरी बार समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुन लिया गया. चुनाव अधिकारी और पार्टी के वरिष्ठ नेता रामगोपाल यादव (Ram Gopal Yadav) ने सपा के राष्ट्रीय अधिवेशन में अखिलेश यादव के निर्विरोध पार्टी अध्यक्ष चुने जाने का ऐलान किया. राष्ट्रीय अधिवेशन में अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) को ही लगातार तीसरी बार पार्टी अध्यक्ष चुने जाने की प्रबल संभावना थी.
पहली बार जनवरी 2017 में अध्यक्ष बने थे अखिलेश
समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) में तत्कालीन कैबिनेट मंत्री शिवपाल यादव (Shivpal Yadav) से गतिरोध के कारण पार्टी के झंडे और चुनाव निशान को लेकर अदालती लड़ाई जीतने के बाद अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) को एक जनवरी 2017 को आपात राष्ट्रीय अधिवेशन बुलाकर पहली बार पार्टी संस्थापक मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) के स्थान पर पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया था.
(इनपुट- न्यूज एजेंसी भाषा)
अक्टूबर 2017 में दोबारा चुने गए थे पार्टी अध्यक्ष
उसके बाद अक्टूबर 2017 में आगरा में हुए विधिवत राष्ट्रीय अधिवेशन में अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) एक बार फिर सर्वसम्मति से पार्टी का अध्यक्ष (SP Chief) चुना गया था. उस वक्त पार्टी के संविधान में बदलाव कर अध्यक्ष के कार्यकाल को तीन साल से बढ़ाकर पांच वर्ष कर दिया गया था.
अध्यक्ष पद पर रहा है यादव परिवार का कब्जा
अक्टूबर 1992 में गठित समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर अब तक यादव परिवार का ही कब्जा रहा है. अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) से पहले मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) ही पार्टी के अध्यक्ष रहे.
दो चुनावों में हार के बाद सपा का पहला अधिवेशन
समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) का यह राष्ट्रीय अधिवेशन साल 2019 के लोकसभा चुनाव और 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में पार्टी की लगातार चुनावी शिकस्तों के बाद आयोजित हो रहा है.
अखिलेश यादव के सामने होंगी ये बड़ी चुनौतियां
प्रदेश के हर चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (BJP) की जोरदार तैयारियों को देखते हुए अखिलेश के सामने अब चुनौतियां पहले से भी अधिक होंगी. उनके सामने आगामी नवंबर-दिसंबर में संभावित नगर निकाय के चुनाव और फिर 2024 के लोकसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन करने की चुनौती है. ऐसे में पार्टी नेतृत्व को पिछली गलतियों से सीख लेते हुए संगठन को नए सिरे से सक्रिय करते हुए उसमें नई ऊर्जा भरनी होगी.
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