नई दिल्लीः हमारी कुंडली में नौ ग्रहों का सीधा संबंध होता है. कई बार तमाम कोशिशों के बाद भी मनमुताबिक सफलता नहीं मिलती है. न धन बच पाता है और न ही किसी तरह की बचत हो पाती है. इसकी एक वजह हमारी कुंडली में ग्रहों का दोष भी हो सकता है. वैदिक ज्योतिष में सूर्य ग्रह को नवग्रहों का राजा कहा जाता है. ऐसे ही जानिए कुंडली में सूर्य ग्रह का क्या महत्व है और उसके मजबूत और कमजोर होने पर क्या फायदे और नुकसान हो सकते हैं.
सूर्यदेव की कृपा पाना जरूरी
ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास बताते हैं कि जीवन में सुख-संपत्ति और साहस को कायम रखने के लिए सूर्यदेव की कृपा पाना जरूरी है. किसी भी जातक की कुंडली में सूर्य की दशा न सिर्फ उसकी सेहत, संपत्ति और सुख-शांति पर असर डालती है बल्कि उसे राजा से रंक बनाने का भी माद्दा रखती है.
सूर्य ग्रह मजबूत हो तो क्या होगा
जन्मांग में ग्रहों का राजा अगर सूर्य मजबूत अवस्था में हो तो जातक राजा, मंत्री, सेनापति, प्रशासक, मुखिया, धर्म संदेशक आदि बनाता है, लेकिन अगर सूर्य कुंडली में निर्बल अवस्था में हो तो वह शारीरिक तथा सफलता की दृष्टि से बड़ा ही खराब परिणाम देता है.
सूर्य संबंधी दोष कैसे दूर करें?
सूर्य देव की शुभता बढ़ाने और उनकी नाराजगी दूर करने के लिए कभी भी झूठ न बोलें. इस उपाय को करने से सूर्य से संबंधी दोष दूर हो जायेगा और उनके शुभ फल मिलने प्रारंभ हो जाएंगे. साथ ही प्रतिदिन उगते सूर्य का दर्शन और उन्हें 'ॐ घृणि सूर्याय नम:' कहते हुए जल अर्पित करना चाहिए. प्रतिदिन सूर्य को जल देने के पश्चात् लाल आसन में बैठकर पूर्व दिशा में मुख करके निम्न मंत्र का 108 बार जप करेंः
'एहि सूर्य सहस्त्रांशो तेजोराशे जगत्पते.
अनुकम्पय मां भक्त्या गृहणाध्र्य दिवाकर.'
(Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. Zee Bharat इसकी पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.)
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