नंदीग्राम: पश्चिम बंगाल (West Bengal) विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण में आज 30 सीटों पर वोटिंग है. इस दौरान करीब 75 लाख मतदाता 191 उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला करेंगे. सेकेंड फेज की सबसे हाई हाई प्रोफाइल यानी हॉट सीट की बात करे तो सभी की निगाहें नंदीग्राम (Nandigram) सीट पर टिकी है. यहां सीएम ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) और कभी उनके सहयोगी रहे शुभेंदु अधिकारी (Suvendu Adhikari) के बीच मुकाबला है जो इस बार बीजेपी के टिकट पर चुनावी मैदान में हैं. ममता ने नंदीग्राम को नाक का सवाल बना लिया है. वो व्हीलचेयर पर बैठकर नंदीग्राम के गांव-गांव घूमीं तो शुभेंदु ने भी कसम खाई है, वो ममता को जीतने नहीं देंगे और इसीलिए उन्होंने भी चप्पे चप्पे में धुंआधार प्रचार किया.


10,620 पोलिंग बूथ संवेदनशील 


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आज हो रही पोलिंग के लिए निर्वाचन आयोग (EC) ने सभी 10,620 पोलिंग बूथों को संवेदनशील घोषित किया है. इस चरण के लिए केंद्रीय बलों की करीब 651 कंपनियों को तैनात किया गया है. महत्वपूर्ण स्थानों पर राज्य पुलिस के कर्मी भी तैनात किए गए हैं. सूत्रों के मुताबिक केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल की 199 कंपनी पूर्व मेदिनीपुर में तो 210 कंपनी पश्चिम मेदिनीपुर में तैनात की गई हैं. वहीं दक्षिण 24 परगना में 170 कंपनियां और बांकुड़ा में 72 कंपनियां तैनात हैं.


तृणमूल कांग्रेस और भाजपा इस चरण की सभी 30 सीटों पर चुनाव लड़ रही हैं, जबकि माकपा ने 15 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारें हैं. वहीं संजुक्त (संयुक्त) मोर्चा में शामिल कांग्रेस ने 13 सीटों पर और आईएसएफ ने दो सीटों पर अपने प्रत्याशी खड़े किए हैं. पूर्व मेदिनीपुर शुभेंदु अधिकारी का होम टाउन है और इसी जिले में नंदीग्राम सीट आती है.


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दूसरी ओर, वाम-कांग्रेस-आईएसएफ गठबंधन ने नंदीग्राम सीट से माकपा की मीनाक्षी मुखर्जी को टिकट दिया है. इस सीट पर अपनी पार्टी की खोई जमीन को वापस हासिल करना उनके लिए चुनौती है.


बीजेपी ने झोंकी ताकत


भाजपा ने अधिकारी के पक्ष में प्रचार करने के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah), उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) और सुपरस्टार मिथुन चक्रवर्ती समेत ‘बड़े चेहरों’ को उतारा है. अधिकारी ने 2016 में इस सीट से जीत हासिल की थी. इन 30 सीटों में से 2016 के विधानसभा चुनाव में तृणमूल ने 23 सीटों पर जीत प्राप्त की थी जबकि 5 पर लेफ्ट फ्रंट के उम्मीदवार जीते थे वहीं बीजेपी और कांग्रेस के खाते में एक-एक सीट ही गई थी.


राज्य में 2019 के चुनाव में राजनीतिक समीकरण बदल गए हैं जब भाजपा ने आदिवासी बहुल जंगल महल क्षेत्र और मेदिनीपुर पट्टी पर व्यापक उपस्थिति दर्ज कराते हुए सभी पांचों लोकसभा सीटों पर जीत हासिल की थी. हालांकि तृणमूलल दक्षिण 24 परगना जिले में अपना प्रभुत्व कायम रखने में कामयाब रही थी जहां अल्पसंख्यकों की अच्छी-खासी आबादी है.


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