Prophet controversy: पैगंबर मोहम्मद पर की गई टिप्पणी को लेकर हुआ विवाद खत्म होता नहीं दिख रहा है. बेशक भाजपा ने इस मामले में नूपुर शर्मा और नवीन कुमार जिंदल के खिलाफ कार्रवाई की, लेकिन मुस्लिम समुदाय के लोग मानने को तैयार नहीं हैं. शुक्रवार को इस विवाद को लेकर हुए प्रदर्शनों के दौरान देश में कई जगहों पर हिंसा हुई. इस पूरे विषय पर ‘ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड’ के वरिष्ठ सदस्य कमाल फारूकी ने अपना पक्ष रखा है.


शुक्रवार को विरोध प्रदर्शनों के दौरान हुई हिंसा कितनी सही?


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कमाल फारूकी का कहना है कि, लोकतांत्रिक ढंग से प्रदर्शन करना उचित है, लेकिन कानून को हाथ में लेना गलत है. इन प्रदर्शनों से पहले हमें यह देखना होगा कि पिछले कुछ महीनों से क्या हो रहा है. ‘धर्म संसद’ के नाम पर कैसी-कैसी बातें की जा रही हैं. अब पैगंबर के बारे में बोला गया, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई. हमारे देश का कानून तो इसकी इजाजत नहीं देता कि आप दूसरे के धर्म के बारे में अपमानजनक बातें करें.


नेताओं पर कार्रवाई के बाद भी प्रदर्शन क्यों?


इस सवाल पर फारूकी कहते हैं कि, यह कोई पहला मामला नहीं है. पिछले कुछ महीनों से लगातार ऐसी बातें हो रही हैं, लेकिन सरकार के स्तर पर कोई सख्त कदम नहीं उठाया गया. इस मामले में भले ही भाजपा की महिला नेता (नुपुर) को निलंबित कर दिया गया, लेकिन उचित कानूनी प्रावधानों के तहत उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई. ऐसे मामलों में सरकारों की तरफ से ऐसे कदम उठाए जाने चाहिए जिसमें इंसाफ होता दिखे. प्रदर्शन करना संवैधानिक अधिकार है, लेकिन किसी को कानून अपने हाथ में लेने और हिंसा करने का अधिकार बिल्कुल नहीं है.


मुस्लिम देशों की प्रतिक्रिया को कैसे देखते हैं?


फारूखी कहते हैं कि, अगर सरकार समय रहते कार्रवाई करती तो ये हालात पैदा नहीं होते. छोटे-छोटे देशों ने हमारे राजदूतों को तलब किया. यह पूरे देश के लिए शर्मिंदगी की बात है. क्या दुनिया हमें बताएगी कि हमारा देश कैसे चलेगा? अगर नफरत फैलाने वालों के खिलाफ समय रहते उचित कदम उठाया जाता तो किसी देश की हिम्मत नहीं होती कि हमारे राजदूतों को तलब करता.


अब आप सरकार से क्या उम्मीद कर रहे हैं?


इस सवाल पर फारूखी ने कहा कि, अभी पानी सिर से ऊपर नहीं गया है. प्रधानमंत्री को इस पर सामने आकर बोलना चाहिए. वह सभी के प्रधानमंत्री हैं. वह माहौल ठीक करने के लिए फौरन कोई कदम उठाएं. अगर वह कोई कदम उठाएंगे तो चीजें ठीक हो सकती हैं. हम उनसे उचित कार्रवाई करने की उम्मीद करते हैं.


टीवी कार्यक्रमों में शामिल न होने की अपील क्यों?


इस पर उनका कहना है कि यह कदम इसलिए उठाया गया है क्योंकि इस तरह की बहसों में सिर्फ नफरत परोसी जा रही है, झूठ बोला जा रहा है, लोगों के बीच दीवार खड़ी की जा रही है. हमारा मानना है कि मुस्लिम समाज और सही सोच रखने वाले सभी लोगों को ऐसी बहस एवं चर्चा से दूर रहना चाहिए. इस तरह की बहसों से सिर्फ देश का नुकसान होता है.