नई दिल्‍ली : जमीन अधिग्रहण बिल को लेकर विपक्षी दलों के विरोध को देख मोदी सरकार के लिए मुश्किलें बढ़ती दिख रही हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, मोदी सरकार भूमि अधिग्रहण बिल पर अपने स्‍टैंड से पीछे नहीं हटेगी। सूत्रों के हवाले से बताया गया कि इस बिल को लेकर सर्वदलीय बैठक नहीं होगी, लेकिन राजनीतिक दलों से सरकार अलग-अलग बात कर सकती है। इस की संभावना है कि संसद के संयुक्‍त सत्र के जरिये सरकार इस बिल को पास करा सकती है। दूसरी ओर, एक बीजेपी सांसद इस मसले के हल के लिए किसान संगठनों से बातचीत करेंगे।


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सूत्रों के अनुसार, सरकार की ओर से जमीन अधिग्रहण बिल के प्रस्तावित संशोधनों में बदलाव नहीं किया जाएगा। विपक्षी दलों तथा सामाजिक कार्यकर्ताओं की ओर से पड़ रहे दबाव के बावजूद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने रुख पर कायम हैं कि उनकी सरकार की ओर से पेश किए गए भूमि अधिग्रहण बिल को लेकर सर्वदलीय बैठक में चर्चा नहीं करवाई जाएगी। वैसे माना जा रहा था कि संसद के इस सत्र के दौरान सर्वदलीय बैठक के जरिये सरकार के आर्थिक एजेंडा के लिए बेहद महत्वपूर्ण इस कानून पर सर्वसम्मति बनाए जाने की कोशिश की जाएगी।


विपक्षी दल इस प्रस्तावित कानून को किसान विरोधी बता रहे हैं। इस बिल के विरोध में कांग्रेस, जेडीयू, टीएमसी, सपा समेत अन्‍य विपक्षी दलों ने मोदी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। साथ ही, एनडीए के साथी शिवसेना और एलजेपी ने भी इस बिल का विरोध किया है। कांग्रेस का नई दिल्ली में जंतर-मंतर पर 'जमीन वापसी आंदोलन' चल रहा है। केंद्र सरकार की ओर से लोकसभा में पेश भूमि अधिग्रहण बिल के खिलाफ एक दिन के धरने में कांग्रेस नेता जमकर विरोध जता रहे हैं।


जानकारी के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को अपने शीर्ष मंत्रियों गृहमंत्री राजनाथ सिंह तथा वित्त मंत्री अरुण जेटली से मुलाकात की। इस बात पर चर्चा की गई कि इस मुद्दे पर विपक्षी दलों के साथ-साथ दो महत्वपूर्ण घटक दलों तथा भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के संरक्षक कहे जाने वाले संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़ी यूनियनों की ओर से भी किए जा रहे विरोध से कैसे पार पाया जाए। बताया गया है कि प्रधानमंत्री ने संकेत दिए हैं कि विपक्ष की ओर से किसी समझौते की कोशिशों का इशारा नहीं किए जाने की स्थिति में भूमि अधिग्रहण बिल पर सर्वदलीय बैठक बुलाए जाने का कोई औचित्‍य नहीं है। सूत्रों ने बताया कि प्रधानमंत्री इस बात के पक्ष में भी नहीं हैं कि प्रस्तावित भूमि अधिग्रहण बिल में कोई बड़े बदलाव किए जाएं।